शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

दुनिया जिस मान्साआहार के पीछे भाग रहीं हैं उससे महामारी तो फैलाने कोई रोक नहीं सकता है

|यज्ञ में जावित्री की आहुति कोरोना वायरस का काल है|
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कोरोना  वायरस दुनिया में कहर ढा रहा है अब यह चीन की महामारी  ना होकर  विश्वमहारी की ओर बढ़ रहा है| 50 देशों में फैल गया है 2800 से अधिक मौतें 75000 से अधिक केस सामने आ आ चुके हैं| कोरोना  इबोला हेपेटाइटिस स्वाइन फ्लू या अन्य महामारी संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस कोई आजकल के तो है नहीं यह भी उतने ही प्राचीन है कि जितना प्राचीन पृथ्वी पर जीवन है|
14 शताब्दी में मध्य एशिया यूरोप में  प्लेग के वायरस ने 20 करोड लोगों का सफाया कर दिया था यह virus भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाया | भारत की संस्कृति यज्ञ संस्कृति रही है  यज्ञ ने इस देश को महामारी  संक्रामक रोग से बचाया है यहां जो भी महामारी आई पराधीनता के काल में आई या जब से हमने यज्ञ करना कराना छोड़ दिया|

 भारत से 9000 किलोमीटर दूर दक्षिण एशियाई देश है इंडोनेशिया यह 2,000 से अधिक छोटे बड़े टापू से मिलकर बना  देश है.... यह आर्यव्रत का हिस्सा था सनातन वैदिक संस्कृति से ही संरक्षित होता था| इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है जो उसके प्राचीन नाम जयकृत का अपभ्रंश है| राजे महाराजे भारत के इस देश से जावित्री और जायफल मसाले को मंगाते थे यह मसाला अपने देश में नहीं होता... इंडोनेशिया के बाली सुमात्रा जावा द्वीप में यह होता है.... जावित्री , जायफल एक ही पेड़ के उत्पाद है जायफल पेड़ का बीज है तथा जावित्री बीज को घेरा हुए लाल आवरण है|

 जावित्री केवल मसाला ही नहीं यह दुनिया की बेस्ट एंटी वायरल मेडिसिन है.... हमारे पूर्वज हवन सामग्री में मिलाकर यज्ञ में इसे डालते थे.... जावित्री इन रोगों का खात्मा करती है जो स्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं कोरोनावायरस से जुकाम फेफड़ों   का तीव्र संक्रमण  एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम कहते हैं उसका खात्मा कर देती है| कोरोनावायरस बड़ा ही  अजीबोगरीब है| यह वायरसों के एक परिवार का सदस्य है जिसने सभी का कॉमन नाम कोरोना ही है...  हाल फिलहाल  जिस से चीन में आतंक फैला हुआ है वैज्ञानिकों ने उसका नाम कोविड 2019 रखा है.... यह वायरस गोलाकार होता है इसके चारों तरफ सुनहरे कांटे होते हैं इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से जब देखते हैं एक  क्राउन( ताज) की भांति यह आवरण से ढका हुआ होता है| कोरोना परिवार के वायरस साधारण जुकाम से लेकर खतरनाक निमोनिया के लिए जिम्मेदार है|
United State Disease Control , विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस कोरोना 2019 वायरस के सामने लाचार है ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन केवल एडवाइजरी इस वायरस से बचाव के तरीके ही  जारी कर रहा है | 

अभी तक तो दुनिया की किसी लेबर्ट्री में इस वायरस के खिलाफ कोई एंटीवायरल ड्रग नहीं बनी है Remedesvir नामक ड्रग को इसका समाधान खोजा जा रहा है लेकिन वह अभी क्लिनिकल ट्रायल से कोसों दूर है|

यह तो रहा संक्षिप्त में इस वायरस का वैज्ञानिक वर्णन अब मुद्दे पर लौटते हैं कोरोना क्या जितने भी ज्ञात अज्ञात वायरस हैं जो खोजे गए हैं या खोजे जाएंगे उनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक बताई जाती है सभी का काल है यज्ञ...|

अपने देश में होली, दीपावली जैसे प्राचीन त्योहारों पर ऋतु अनुकूल सामग्री से बड़े-बड़े यज्ञ करने की स्वस्थ परंपरा रही है| फागुन , चैत्र के महीने में जब जावित्री को यज्ञ सामग्री में मिलाकर व खेतों में उगे हुए गेहूं जौ की बालियों को मिलाकर  यज्ञ किया जाए तो यह खतरनाक वायरस मानव शरीर तो क्या गांव की सीमाओं में भी नहीं घुस सकते... महर्षि दयानंद सरस्वती ने  संस्कार विधि पुस्तक में सावित्री की गणना सुगंधी कारक जड़ी बूटी में की है जावित्री केवल सुगंधीकारक ही नहीं रोग नाशक भी है|

  जावित्री कोई बहुत महंगा  मसाला नहीं है ₹20 में 10 ग्राम मिलती है अर्थात ₹2000 किलो है 1 किलो जावित्री से एक गांव को  वायरस से मुक्त किया जा  सकता है  यदि विधिवत  यज्ञ किया जाए...  साथ ही ऋतु अनुकूल सामग्री इस्तेमाल में लाई जाए|

साथियों अपने देश को कोरोनावायरस  से सर्वाधिक खतरा है क्योंकि भारत विशाल आबादी का देश है चीन से हमारी सीमाएं मिली हुई है यह तो ईश्वर का कोई कर्म है यह virus भारत में अभी नहीं फैला है... कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति की छींक की एक बूंद में करोड़ों वर्ष होते हैं एक व्यक्ति छींक के द्वारा एक समय पर दर्जनों लोगों को संक्रमित कर सकता है|

 सरकार के भरोसे मत बैठिए सरकारे इस वायरस से आपको नहीं बचा पाएंगी बताना चाहूंगा ईरान सहित कुछ मध्य एशियाई देशों के तो उपराष्ट्रपति भी इस वायरस से संक्रमित हैं...|

वायरस से आपको केवल और केवल यज्ञ ही बचा सकता है यदि सभी रोगों की एंटीवायरल एंटीबायोटिक थेरेपी है|

इस होली पर 9 मार्च को अपने गांव चौपालों पर सामूहिक जावित्री मसाले से युक्त सामग्री से यज्ञ कीजिए विशेष दो-तीन घंटे आप अपने गांव राष्ट्र को बचा सकते 
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हैं|जय हिन्द जय भारत जय सनातन बन्दे मात्र 👃
आप का तिवारी परिवार 


गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

जहरीले सोच रखने हो तो अपना ही नुकसान होता है

#दिल्ली_दंगा 
क्या मिला लोगो को उन्मादी भीड़ बन के क्या मिला लोगो को एक दूसरे का घर जला के इस देश से ना तो मुस्लिम खत्म होने वाले है ना ही हिन्दू दिल्ली के जिन गलियों में हिन्दू मुस्लिम साथ रहते थे आज एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए ..यकीन करिये ये फिर साथ रहंगे 

नेता भड़काऊ बयान दे के अपने घर के हो लिए उनका  क्या गया नुकसान तो आम जनता का हुआ है किसी का जवान बेटा चला गया किसी बहन का भाई चला गया  किसी बेटे का बाप चला गया किसी का आदमी मारा गया किसी की जिंदगी भर की कमाई दंगो में लूट ली गयी किसी का सपनो का घर पल भर में चकनाचूर हो गया 

दंगे शांत होने के बाद सिर्फ बेबसी लाचारी सुखी आँखों में ना टपकते आँसू और अपनों का खोने का गम जिंदगी भर खुद को कोसने का दर्द दीखता है 

जिंदगी जीने के लिए धर्म जरुरी है क्या ? अगर जरुरी भी है तो धर्म के लिए दूसरे धर्म के लोगो को मारना काटना उनके घर दुकान जलाना ये भी जरुरी है क्या ?

भारत देश सभी धर्मो को मानने वाला है मगर ये नहीं की अपने धर्म को ऊँचा दूसरे को निचा रखो और धर्म सबका निजी मामला है उसको सड़को बाजारों में क्यों लाते हों 

देश संविधान से चलेगा किसी धार्मिक ग्रन्थ से नही 
और ये नेता हमको आपको भड़का कर क्या करंगे अगर हम जरा सा अपनी बुद्धि विवेक का प्रयोग करे तो इनके गैर कानूनी बयानबाजी का विरोध करे इनका बायकाट करे आगे से ऐसा होगा ही नही ।

यकीन मानिए अगर आप धर्म से ऊपर सोचने लगे तो इंसानियत आपके अंदर जिन्दा होने लगेगी ।

जय हिंद 
आप का तिवारी परिवार 

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

जिसे इस कहानी पर शक हो वो एक बार बादशाह नामा जरूर पढ़ें ।

शाहजहाँ ने बताया था... हिंदू क्यों गुलाम हुआ ?

मुग़ल बादशाह शाहजहाँ लाल किले में तख्त-ए-ताऊस पर बैठा हुआ था। तख्त-ए-ताऊस काफ़ी ऊँचा था । उसके  एक तरफ़ थोड़ा नीचे अग़ल-बग़ल दो और छोटे-छोटे तख्त लगे हुए थे । एक तख्त पर मुगल वज़ीर दिलदार खां बैठा हुआ था और दूसरे तख्त पर मुगल सेनापति सलावत खां बैठा था । सामने सूबेदार-सेनापति -अफ़सर और दरबार का खास हिफ़ाज़ती दस्ता मौजूद था । 

उस दरबार में इंसानों से ज्यादा क़ीमत बादशाह के सिंहासन तख्त-ए-ताऊस की थी । तख्त-ए-ताऊस में 30 करोड़ रुपए के हीरे और जवाहरात लगे हुए थे । इस तख्त की भी अपनी कथा-व्यथा थी । तख्त-ए-ताऊस का असली नाम मयूर सिंहासन था । 300 साल पहले यही मयूर सिंहासन देवगिरी के यादव राजाओं के दरबार की शोभा था । यादव राजाओं का सदियों तक गोलकुंडा के हीरों की खदानों पर अधिकार रहा था । यहां से  निकलने वाले बेशक़ीमती हीरे, मणि, माणिक, मोती... मयूर सिंहासन के सौंदर्य को दीप्त करते थे । लेकिन समय चक्र पलटा... दिल्ली के क्रूर सुल्तान अलाउदद्दीन खिलजी ने यादव राज रामचंद्र पर हमला करके उनकी अरबों की संपत्ति के साथ ये मयूर सिंहासन भी लूट लिया। इसी मयूर सिंहासन को फारसी भाषा में तख्त-ए-ताऊस कहा जाने लगा । 
 
दरबार का अपना सम्मोहन होता है और इस सम्मोहन को राजपूत वीर अमर सिंह राठौर ने अपनी पद चापों से भंग कर दिया । अमर सिंह राठौर.. शाहजहां के तख्त की तरफ आगे बढ़ रहे थे । तभी मुगलों के सेनापति सलावत खां ने उन्हें रोक दिया । 

सलावत खां- ठहर जाओ... अमर सिंह जी... आप 8 दिन की छुट्टी पर गए थे और आज 16वें दिन तशरीफ़ लाए हैं । 

अमर सिंह- मैं राजा हूँ । मेरे पास रियासत है फौज है.. किसी का गुलाम नहीं । 

सलावत खां- आप राजा थे... अब हम आपके सेनापति हैं... आप मेरे मातहत हैं । आप पर जुर्माना लगाया जाता है... शाम तक जुर्माने के सात लाख रुपए भिजवा दीजिएगा । 

अमर सिंह- अगर मैं जुर्माना ना दूँ !

सलावत खां- (तख्त की तरफ देखते हुए) हुज़ूर... ये काफिर आपके सामने हुकूम उदूली कर रहा है। 

अमर सिंह के कानों ने काफिर शब्द सुना । उनका हाथ तलवार की मूंठ पर गया... तलवार बिजली की तरह निकली और सलावत खां की गर्दन पर गिरी । मुगलों के सेनापति सलावत खां का सिर जमीन पर आ गिरा... अकड़ कर बैठा सलावत खां का धड़ धम्म से नीचे गिर गया ।  दरबार में हड़कंप मच गया... वज़ीर फ़ौरन हरकत में आया वो बादशाह का हाथ पकड़कर भागा और उन्हें सीधे तख्त-ए-ताऊस के पीछे मौजूद कोठरीनुमा कमरे में ले गया । उसी कमरे में दुबक कर वहां मौजूद खिड़की की दरार से वज़ीर और बादशाह दरबार का मंज़र देखने लगे ।

दरबार की हिफ़ाज़त में तैनात ढाई सौ सिपाहियों का पूरा दस्ता अमर सिंह पर टूट पड़ा था । देखते ही देखते... अमर सिंह ने शेर की तरह सारे भेड़ियों का सफ़ाया कर दिया ।

बादशाह- हमारी 300 की फौज का सफ़ाया हो गया... या खुदा !

वज़ीर- जी जहाँपनाह 

बादशाह- अमर सिंह बहुत बहादुर है... उसे किसी तरह समझा बुझाकर ले आओ... कहना हमने माफ किया !

वज़ीर- जी जहाँपनाह ! हुजूर... लेकिन आँखों पर यक़ीन नहीं होता... समझ में नहीं आता... अगर हिंदू इतना बहादुर है तो फिर गुलाम कैसे हो गया ? 

बादशाह- अच्छा... सवाल वाजिब है... जवाब कल पता चल जाएगा ।

अगले दिन फिर बादशाह का दरबार सजा ।

शाहजहां- अमर सिंह का कुछ पता चला ।

वजीर- नहीं जहाँपनाह... अमर सिंह के पास जाने का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहता है ।  

शाहजहां- क्या कोई नहीं है जो अमर सिंह को यहां ला सके ?

दरबार में अफ़ग़ानी, ईरानी, तुर्की... बड़े बड़े रुस्तम-ए-जमां मौजूद थे । लेकिन कल अमर सिंह के शौर्य को देखकर सबकी हिम्मत जवाब दे रही थी। 

आखिर में एक राजपूत वीर आगे बढ़ा.. नाम था... अर्जुन सिंह । 

अर्जुन सिंह- हुज़ूर आप हुक्म दें... मैं अभी अमर सिंह को ले आता हूँ । 

बादशाह ने वज़ीर को अपने पास बुलाया और कान में कहा.. यही तुम्हारे कल के सवाल का जवाब है... हिंदू बहादुर है लेकिन इसीलिए गुलाम हुआ.. देखो.. यही वजह है।

अर्जुन सिंह... अमर सिंह के साले  थे । अर्जुन सिंह ने अमर सिंह को धोखा देकर उनकी हत्या कर दी । अमर सिंह नहीं रहे लेकिन उनका स्वाभिमान इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में प्रकाशित है । इतिहास में ऐसी बहुत सी कथाएँ हैं जिनसे सबक़ लेना आज भी बाकी है ।

#हिंदू

- शाहजहाँ के दरबारी, इतिहासकार और यात्री अब्दुल हमीद लाहौरी की किताब बादशाहनामा से ली गईं ऐतिहासिक कथा ।

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साभार आपका तिवारी परिवार
 जय हिंद 

वह कहानी आज के सेकुलर बने हिंदुओं पर बहुत सटीक बैठती है

.आप एक प्रयोग कीजिये, एक भगौने में पानी डालिये और उसमे एक मेढक छोड़ दीजिये। फिर उस भगौने को आग में गर्म कीजिये।

जैसे जैसे पानी गर्म होने लगेगा, मेढक पानी की गर्मी के हिसाब से अपने शरीर को तापमान के अनकूल सन्तुलित करने लगेगा।

मेढक बढ़ते हुए पानी के तापमान के अनकूल अपने को ढालता चला जाता है और फिर एक स्थिति ऐसी आती है की जब पानी उबलने की कगार पर पहुंच जाता है। इस अवस्था में मेढक के शरीर की सहनशक्ति जवाब देने लगती है और उसका शरीर इस तापमान को अनकूल बनाने में असमर्थ हो जाता है। 

अब मेढक के पास उछल कर, भगौने से बाहर जाने के अलावा कोई चारा नही बचा होता है और वह उछल कर, खौलते पानी से बाहर निकले का निर्णय करता है।

मेढक उछलने की कोशिश करता है लेकिन उछल नही पाता है। उसके शरीर में अब इतनी ऊर्जा नही बची है की वह छलांग लगा सके क्योंकि उसकी सारी ऊर्जा तो पानी के बढ़ते हुए तापमान को अपने अनुकूल बनाने में ही खर्च हो चुकी है।
कुछ देर हाथ पाँव चलाने के बाद, मेढक पानी मर पर मरणासन्न पलट जाता है और फिर अंत में मर जाता है।

यह मेढक आखिर मरा क्यों?
सामान्य जन मानस का वैज्ञानिक उत्तर यही होगा की उबलते पानी ने मेढक की जान ले ली है लेकिन यह उत्तर गलत है।

सत्य यह है की मेढक की मृत्यु का कारण, उसके द्वारा उछल कर बाहर निकलने के निर्णय को लेने में हुयी देरी थी। वह अंत तक गर्म होते मौहोल में अपने को ढाल कर सुरक्षित महसूस कर रहा था। उसको यह एहसास ही नही हुआ था की गर्म होते हुए पानी के अनुकूल बनने के प्रयास ने, उसको एक आभासी सुरक्षा प्रदान की हुयी है। अंत में उसके पास कुछ ऐसा नही बचता की वह इस गर्म पानी का प्रतिकार कर सके और उसमे ही खत्म हो जाता है।

मुझे इस कहानी में जो दर्शन मिला है वह यह की यह कहानी मेढक की नही है, यह कहानी 'हिन्दू' की है।
यह कहानी, सेकुलर प्रजाति द्वारा हिन्दू को दिए गए आभासी सुरक्षा कवच की है।

यह कहानी, अपने सेकुलरी वातावरण में ढल कर, सकूँ की ज़िन्दगी में जीते रहने की, हिन्दू के छद्म विश्वास की है।

यह कहानी, अहिंसा, शांति और दुसरो की भावनाओ के लिहाज़ को प्राथिमकता देने में, उचित समय में निर्णय न लेने की है। 

यह कहानी, सेकुलरो के बुद्धजीवी ज्ञान, 'मेढक पानी के उबलने से मरा है' को मनवाने की है।

यह कहानी, धर्म के आधार पर हुए बंटवारे के बाद, उद्वेलित समाज के अनकूल ढलने के विश्वास पर, वहां रुक गए हिन्दुओ के अस्तित्व के समाप्त होने की है।

यह कहानी, कश्मीरियत का अभिमान लिए कश्मीरी पंडितो की कश्मीर से खत्म होने की है।

यह कहानी, सेकुलरो द्वारा हिन्दू को मेढक बनाये रखने की है।

यह कहानी, आपके अस्तिव को आपके बौद्धिक अहंकार से ही खत्म करने की है।

लेकिन यह एक नई कहानी भी कहती, यह मेरे द्वारा मेढक बनने से इंकार की भी कहानी है! मेरी कहानी, आपकी भी हो सकती है यदि आप, आज यह निर्णय करे की अब इससे ज्यादा गर्म पानी हम बर्दाश्त करने को तैयार नही है।
मेरी कहानी, आपकी भी हो सकती है यदि आप, आज जातिवाद, क्षेत्रवाद, आरक्षण और ज्ञान के अहंकार को तज करके, मेढक से हिन्दू बनने को तैयार है।

आइये! थामिये, एक दूसरे का हाथ और उछाल मार कर और बाहर निकल आइये। इस मृत्युकारक सेक्युलरिज़्म सड़ांध के वातावरण से और वसुंधरा को अपनी नाद से गुंजायमान कीजिये। "हम हिन्दू है! हम भारत है! हम ज़िंदा है।
आप का तिवारी परिवार  जय श्री राधे राधे
 जय श्री राम

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

अइये अब बीजेपी के बारें में विश्लेषण करते हैं

भाजपा चुनाव क्यो हारती है कारण मेरे हिसाब से- पढे।
केजरीवाल .. "एक सफल राजनीतिज्ञ"
कुछ भी कहिये ..!
भले उसके सोच और मानसिकता की वजह से हम घृणा करते है, पर बंदा नफरत की नहीं सीखने की चीज है ।।
एक विशालकाय भाजपा के सामने अदना सा केजरीवाल अडिग खड़ा रहा ।।
उसे सिर्फ 12-15 % मुसलमानो ने नहीं बल्कि हिंदुओ ने भी वोट दिया है ।।

सोचिए ..!
राज्य दर राज्य हारती bjp ..!
आखिर क्या वजह है ..??
अगर up भी हारे तो ..?? सब कुछ खत्म ।।
वजह ये है कि....भाजपा बात तो हिंदुत्व की करती है वोट हिंदुत्व के नाम पर मांगती है पर योजनाएं जाति आधारित लागू करती है.....!
भावनाएं अपनी जगह .. पर हम bjp की जातिवादी.. वर्गवादी ..भेदभाव वादी योजनाओं की वजह से उ.प्र. और बिहार भी हारने जा रहे हैं ।।
Bjp की योजनाएँ ..!
1- उज्ज्वला योजना ।।
इसमें गैस सिलेंडर सामान्य वर्ग को तभी देने का प्रावधान है जब sc st obc और मुस्लिम वर्ग को देने के पश्चात बचेगा ।।
2- प्रधानमंत्री आवास योजना -प्रैक्टिकली यह सिर्फ शहरी मुसलमानो के लिए बनाई गई है ।।
इसमे ढाई लाख रुपये मकान बनाने के लिए मिलते हैं ...! 
इसकी क्राईटेरिया ऐसी बनाई गई है के उसमे सिर्फ मुसलमान ही फिट बैठते हैं ।।
खास कर के फार्म में शुक्ला ..मिश्रा ..तिवारी ..पांडे .. दूबे ..चौबे...सिंह....सिन्हा....श्रीवास्तव सर नेम वाले फार्म को सरकार का साफ्टवेयर ऑटोमेटिक रिजेक्ट कर देता है ।।
3 - pm आयुष्मान भारत योजना - इसमे 5 लाख तक के इलाज का बीमा कवर दिया जाता है ।। पर किसे ..? जिन्हें मिलता है वो ना भाजपा को वोट देते है ना कभी देंगे ।।
4- स्टार्टअप योजना- ये भी जातिवाद के नींव पर है पहले प्राथमिकता SC-ST को फिर ओबीसी और अंत मे सवर्णों को। 
अब आइए केजरीवाल की योजनाएं देखते हैं ।।
1 - 200 यूनिट बिजली फ्री ।।
इसमे कोई भेदभाव नहीं ..! 
दलित .ब्राह्मण..यादव .. बाउसाहब हिन्दू मुसलमान टाटा अम्बानी .. एमडी ..चपरासी , भइया .. बिहारी जो है सबके लिए है ।। 
2- डीटीसी बस में महिलाओं को मुफ्त यात्रा ।।
कोई भेदभाव नहीं ।। 
सभी जाति की महिलाओं के लिए एक समान ।।
3- हर महीने बीस हजार लीटर मुफ्त पानी ।।
सबके लिए ...! कोई कटेगरी नहीं , कोई जातिभेद नहीं ..! कोई अमीर गरीब नहीं ।।
4-मुफ्त स्कूली शिक्षा ।।
अन्य राज्यो के उलट शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं, सभी जातियों के लिए मुफ्त शिक्षा। भाजपा सरकारों जैसी जातीय भेदभाव के आधार पर स्कालरशिप, फ्री साईकल, फ्री किताब वाली योजना नही। सभी जाति वर्ग के सभी बच्चों को एक जैसी सुविधा ।।

गरीब हर जाति में होते है जाति आधारित नही गरीबी आधारित योजनाएं लागू करना होगा, वरना योजनाओं का लाभ जो ले रहे है उनका बड़ा प्रतिशत वोट नही देता, और जो वोट देता है वो भी कटते जाएंगे।
भारत माता की जय।
जय श्री राम
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आप का तिवारी परिवार 

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

जय श्री राधे जय श्री कृष्ण ।हम आप लोग से पूछना चाहते है कि पूजा करने की सच्ची बींध क्या है प्रेम या बेद

कौन शूद्र कौन ब्राह्मण........

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🌺एक शूद्र महिला रानी रासमणि ने मंदिर बनवाया। चूंकि वह शूद्र थी, उसके मंदिर में कोई ब्राह्मण पूजा करने को राजी न हुआ। हालांकि रासमणि खुद भी कभी मंदिर में अंदर नहीं गई थी, क्योंकि कहीं मंदिर अपवित्र न हो जाए! यह तो ब्राह्मण होने का लक्षण हुआ। जो अपने को शूद्र समझे, वह ब्राह्मण। जो अपने को ब्राह्मण समझे, वह शूद्र।

रासमणि कभी मंदिर के पास भी नहीं गई, भीतर भी नहीं गई, बाहर-बाहर से घूम आती थी। दक्षिणेश्वर का विशाल मंदिर उसने बनाया था, लेकिन कोई पुजारी न मिलता था। और रासमणि शूद्र थी, इसलिए वह खुद पूजा न कर सकती थी। मंदिर क्या बिना पूजा के रह जाएगा? वह बड़ी दुखी थी, बड़ी पीड़ित थी। रोती थी, चिल्लाती थी--कि कोई पुजारी भेज दो!

फिर किसी ने खबर दी कि गदाधर नाम का एक ब्राह्मण लड़का है, उसका दिमाग थोड़ा गड़बड़ है, शायद वह राजी हो जाए। क्योंकि यह दुनिया इतनी समझदार है कि इसमें शायद गड़बड़ दिमाग के लोग ही कभी थोड़े से समझदार हों तो हों। यह गदाधर ही बाद में रामकृष्ण बना।

गदाधर को पूछा। उसने कहा कि ठीक है, आ जाएंगे। उसने एक बार भी न कहा कि ब्राह्मण होकर मैं शूद्र के मंदिर में कैसे जाऊं? गदाधर ने कहा, ठीक है। प्रार्थना यहां करते हैं, वहां करेंगे। घर के लोगों ने भी रोका, मित्रों ने भी कहा कि कहीं और नौकरी दिला देंगे। नौकरी के पीछे अपने धर्म को खो रहा है? पर गदाधर ने कहा, नौकरी का सवाल नहीं है; भगवान बिना पूजा के रह जाएं, यह बात जंचती नहीं; करेंगे।
मगर तब खबर रासमणि को मिली कि यह पूजा तो करेगा, लेकिन पूजा में यह दीक्षित नहीं है। इसने कभी पूजा की नहीं है। यह अपने घर ही करता रहा है। इसकी पूजा का कोई शास्त्रीय ढंग, विधि-विधान नहीं है। और इसकी पूजा भी जरा अनूठी है। 

कभी करता है, कभी नहीं भी करता। कभी दिन भर करता है, कभी महीनों भूल जाता है। और भी इसमें कुछ गड़बड़ हैं; कि यह भी खबर आई है कि यह पूजा करते वक्त पहले खुद भोग लगा लेता है अपने को, फिर भगवान को लगाता है। खुद चख लेता है मिठाई वगैरह हो तो। रासमणि ने कहा, अब आने दो। कम से कम कोई तो आता है।

वह आया, लेकिन ये गड़बड़ें शुरू हो गईं। कभी पूजा होती, कभी मंदिर के द्वार बंद रहते। कभी दिन बीत जाते, घंटा न बजता, दीया न जलता; और कभी ऐसा होता कि सुबह से प्रार्थना चलती तो बारह-बारह घंटे नाचते ही रहते रामकृष्ण।

आखिर रासमणि ने कहा कि यह कैसे होगा? ट्रस्टी हैं मंदिर के, उन्होंने बैठक बुलाई। उन्होंने कहा, यह किस तरह की पूजा है? किस शास्त्र में लिखी है?

रामकृष्ण ने कहा, शास्त्र से पूजा का क्या संबंध है? पूजा प्रेम की है। जब मन ही नहीं होता करने का, तो करना गलत होगा। और वह तो पहचान ही लेगा कि बिना मन के किया जा रहा है। तुम्हारे लिए थोड़े ही पूजा कर रहा हूं। उसको मैं धोखा न दे सकूंगा। जब मन ही करने का नहीं हो रहा, जब भाव ही नहीं उठता, तो झूठे आंसू बहाऊंगा, तो परमात्मा पहचान लेगा। वह तो पूजा न करने से भी बड़ा पाप हो जाएगा कि भगवान को धोखा दे रहा हूं। जब उठता है भाव तो इकट्ठी कर लेता हूं। दो तीन सप्ताह की एक दिन में निपटा देता हूं। लेकिन बिना भाव के मैं पूजा न करूंगा।

और उन्होंने कहा, तुम्हारा कुछ विधि-विधान नहीं मालूम पड़ता। कहां से शुरू करते, कहां अंत करते।

रामकृष्ण ने कहा, वह जैसा करवाता है, वैसा हम करते हैं। हम अपना विधि-विधान उस पर थोपते नहीं। यह कोई क्रियाकांड नहीं है, पूजा है। यह प्रेम है। रोज जैसी भाव-दशा होती है, वैसा होता है। कभी पहले फूल चढ़ाते हैं, कभी पहले आरती करते हैं। कभी नाचते हैं, कभी शांत बैठते हैं। कभी घंटा बजाते हैं, कभी नहीं भी बजाते। जैसा आविर्भाव होता है भीतर, जैसा वह करवाता है, वैसा करते हैं। हम कोई करने वाले नहीं।
उन्होंने कहा, यह भी जाने दो। लेकिन यह तो बात गुनाह की है कि तुम पहले खुद चख लेते हो, फिर भगवान को भोग लगाते हो! कहीं दुनिया में ऐसा सुना नहीं। पहले भगवान को भोग लगाओ, फिर प्रसाद ग्रहण करो। तुम भोग खुद को लगाते हो, प्रसाद भगवान को देते हो।

रामकृष्ण ने कहा, यह तो मैं कभी न कर सकूंगा। जैसा मैं करता हूं, वैसा ही करूंगा। मेरी मां भी जब कुछ बनाती थी तो पहले खुद चख लेती थी, फिर मुझे देती थी। पता नहीं, देने योग्य है भी या नहीं। कभी मिठाई में शक्कर ज्यादा होती है, मुझे ही नहीं जंचती, तो मैं उसे नहीं लगाता। कभी शक्कर होती ही नहीं, मुझे ही नहीं जंचती, तो भगवान को कैसे प्रीतिकर लगेगी? जो मेरी मां न कर सकी मेरे लिए, वह मैं परमात्मा के लिए नहीं कर सकता हूं।

ऐसे प्रेम से जो भक्ति उठती है, वह तो रोज-रोज नई होगी। उसका कोई क्रियाकांड नहीं हो सकता। उसका कोई बंधा हुआ ढांचा नहीं हो सकता। प्रेम भी कहीं ढांचे में हुआ है? पूजा का भी कहीं कोई शास्त्र है? प्रार्थना की भी कोई विधि है? वह तो भाव का सहज आवेदन है। भाव की तरंग है।
श्री राधे   जय श्री कृष्णा। जय श्री राम। जय श्री राम। जय श्री राधे राधे।👃👃👃👃👃👃👃👃👃👃👃
आप का तिवारी परिवार 

हनुमान चालीसा का सही अर्थ आप जानें

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हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया।

क्या हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं। आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो।

तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!!

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
📯《अर्थ》→ गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।★
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।★
📯《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।★
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥★
📯《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
📯《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥★
📯《अर्थ》→ हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।★
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कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥★
📯《अर्थ》→ आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।★
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हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥★
📯《अर्थ》→ आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।★
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शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥★
📯《अर्थ 》→ हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।★
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विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥★
📯《अर्थ 》→ आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।★
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥★
📯《अर्थ 》→ आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है।★
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सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥9॥★
📯《अर्थ》→ आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।★
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भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥★
📯《अर्थ 》→ आपने विकराल रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।★
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लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥★
📯《अर्थ 》→ आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।★
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रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।★
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥★
📯《अर्थ 》→ श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।★
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,सारद सहित अहीसा॥14॥★
📯《अर्थ》→श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।★
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जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥★
📯《अर्थ 》→ यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।★
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तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥★
📯《अर्थ 》→ आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।★
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तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥★
📯《अर्थ 》→ आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।★
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥★
📯《अर्थ 》→ जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।★
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥★
📯《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।★
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दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥★
📯《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।★
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप.रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।★
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू.को डरना॥22॥★
📯《अर्थ 》→ जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।★
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आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥★
📯《अर्थ. 》→ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।★
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भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥★
📯《अर्थ 》→ जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।★
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नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥★
📯《अर्थ 》→ वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।★
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सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥★
📯《अर्थ 》→ तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।★
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और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥★
📯《अर्थ 》→ जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।★
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चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥★
📯《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
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साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥★
📯《अर्थ 》→ हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।★
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥★
📯《अर्थ 》→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।★
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।★
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।★
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।★
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।★
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।★
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।★
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।★
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।★
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राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥★
📯《अर्थ 》→ आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।★
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तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥★
📯《अर्थ 》→ आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।★
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अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥★
📯《अर्थ 》→ अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।★
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और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।★
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संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥★
📯《अर्थ 》→ हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥★
📯《अर्थ 》→ हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।★
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जो सत बार पाठ कर कोई, छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥★
📯《अर्थ 》→ जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।★
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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥★
📯《अर्थ 》→ भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।★
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तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥★
📯《अर्थ 》→ हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।★
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पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥★
📯《अर्थ 》→ हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।★
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

जय श्री राम  जाकी रही भावना जैसी हरि मूरत देखी तिन तैसी।
 यह आपके विचारों पर। निर्धारित करता है कि आप भगवान को किस रूप में देखना चाहते हैं। जय श्रीराम। जय श्रीराम जय श्रीराम।
आप का तिवारी परिवार 

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

भ्रम फैलाने में क्यों और कैसे सफलता मिलीती है दलित और ब्राह्मण बिच जितना फैलाया उसपर आप खुद ही बिचार कीजिए

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#ब्राह्मणों_को_कोसने_वालों_इतिहास_को_ठीक_से_पढ़_लो..।।
त्रेता युग में क्षत्रियों का शासन था ! 
महाभारत काल मे यादव क्षत्रियों का शासन था ! 

उसके बाद दलित-मौर्य और बौद्धो का राज था ! 

उसके बाद 600 साल मुसलमान बादशाह (अरबी लुटेरों) का राज था 
फिर 300 साल अंग्रेज राज था, 
पिछले 70 वर्षों से अंबेडकर का संविधान राजकाज चला रहा है़।
लेकिन फिर भी सब पर अत्याचार ब्राहमणों द्वारा किया गया... अमेजिंग ।
मूर्खता की कोई सीमा नही!!
#ब्राह्मणों_को_गाली_देना__कोसना__उन्हें__कर्मकांडी__पाखंडी__लालची__भ्रष्ट__ढोंगी__जैसे__विशेषणों_के_द्वारा__अपमानित_करना_आजकल_ट्रेंड_में_है।

कुछ लोग ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते हैं, कुछ उन्हें मंदिरों से बाहर कर देना चाहते हैं.. वगैरह-वगैरह।

कुछ कथित रूप से पिछड़े लोगों को लगता है कि ब्राह्मणों की वजह से ही वो 'पिछड़े' रह गये, दलितों की अपनी दलीलें हैं, कभी-कभी अन्य जातियों के लोगों के श्रीमुख से भी इस तरह की बातें सुनने को मिल जाती हैं।

#आमतौर_से_ये_धारणा_बनाई_जा_रही_है कि ब्राह्मणों की वजह से समाज पिछड़ा रह गया, लोग अशिक्षित रह गये, समाज जातियों में बंट गया, देश में अंधविश्वासों को बढ़ावा मिला.. वगैरह-वगैरह।

आज, ऐसे सभी माननीयों को हृदय से धन्यवाद देते हुए मैं आपको जवाब दे रहा हूं...
इस वैधानिक चेतावनी के साथ कि मैं किसी प्रकार की जातीय श्रेष्ठता में विश्वास नहीं रखता।

लेकिन आप जान लीजिये- #वो__कौटिल्य_जिसने__संपूर्ण__मगध__साम्राज्य_को_संकटों_से_मुक्ति_दिलाई,
#देश_में__जनहितैषी__सरकार_की__स्थापना_कराई__भारत_की_सीमाओं_को_ईरान_तक_पहुंचा द_या और #कालजयी_ग्रन्थ___अर्थशास्त्र__की__रचना की (जिसे आज पूरी दुनिया पढ़ रही है) वो कौटिल्य ब्राह्मण थे।
#आदि शंकराचार्य जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को
____एकता_के_सूत्र में बांधने के प्रयास किये, 8वीं ।

सदी में ही पूरे देश का भ्रमण किया, विभिन्न विचारधाराओं
वाले तत्कालीन विद्वानों-मनीषियों से शास्त्रार्थ कर उन्हें हराया,
देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना कर हर हिंदू के
लिए चार धाम की यात्रा का विधान किया, जिससे आप इस देश को समझ सके। वो शंकराचार्य ब्राह्मण थे।

कर्नाटक के जिन लिंगायतों को कांग्रेसी हिंदूओं से अलग
करना चाहते हैं, उनके गुरु और
#लिंगायत_के_संस्थापक_बसव_भी ब्राह्मण थे।

भारत में सामाजिक-वैचारिक उत्थान, विभिन्न जातियों की
समानता, छुआछूत-भेदभाव के खिलाफ समाज को एक
करने वाले भक्ति आंदोलन के प्रमुख #संत_रामानंद, (जो
केवल कबीर के ही नहीं बल्कि संत रैदास के भी गुरु थे)
ब्राह्मण थे।
आज दिल्ली में जिस भव्य #अक्षरधाम मंदिर के दर्शन
करके दलितों समेत सभी जातियों के लोग खुद को धन्य
मानते हैं, उस
#मंदिर__की_स्थापना_करने_वाला__स्वामीनारायण
____संप्रदाय है जिसके_जन_घनश्याम_पांडेय भी ब्राह्मण

थे।

वक्त के अलग-अलग कालखंड में हिंदू समाज में व्याप्त हो
चुकी बुराईयों को दूर करने के लिए 'आर्य समाज' व 'ब्रह्म
समाज' के रूप में जो दो बड़े आंदोलन देश में खड़े हुए, इन
दोनों के ही जनक क्रमश: स्वामी दयानंद सरस्वती व राजा
राममोहन राय (जिन्होंने हमें सती प्रथा से मुक्ति दिलाई)
ब्राह्मण थे।
भारत में #विधवा_विवाह_की_शुरुआत करान_
वाले ईश्वरचंद्र विद्यासागर भी ब्राह्मण थे। इन सभी संतों ने
जाति-पांति, छुआछूत, भेदभाव के खिलाफ समाज को ।
जागरुक करने में अपना जीवन खपा दिया- लेकिन समाज
नहीं सुधरा।

भगवान श्रीराम की महिमा को '#रामचरित मानस' के
जरिये घर-घर में पहुंचाने वाले #तुलसीदास और भगवान

श्रीकृष्ण की भक्ति की लहर पैदा करने वाले #वल्लभाचार्य
__ भी ब्राह्मण थे।
ये भी याद रखिये- मंदिरों में ब्राह्मणों का वर्चस्व था, जैसा कि
आप लोग कहते हैं, फिर भी भारत में भगवान परशुराम
(ब्राह्मण) के मंदिर सामान्यत: नहीं मिलते। ये है ब्राह्मणों की
भावना।

विदेशी आधिपत्य के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह का बिगुल
बजाने संन्यासियों में से अधिकांश लोग ब्राह्मण थे।
#अंग्रेजों_की_तोपों के सामने सीना_तानने_वाले_मं
गल_पांडेय_रानी_लक्ष्मीबाई, अंग्रेज अफसरों के लिए

दहशत का पर्याय बन चुके #चंद्रशेखर-आजाद, फांसी के
__ फंदे पर झूलने वाले #राजगुरु - ये सभी ब्राह्मण थे।

#वंदेमातरम जैसी_कालजयी रचना से पूरे देश में
देशभक्ति का ज्वार पैदा करने वाले #बंकिमचद्र चटर्जी_जन_गण_मन_के_रचयिता
____रविंद्र नाथ टैगोर ब्राह्मण,
देश के पहले आईएएस (तत्कालीन ICS) सत्येंद्रनाथ टैगोर
भी ब्राह्मण। स्वतंत्रता आंदोलन के नायक
#गोपालकृष्ण_गोखले (गांधी जी के गुरु),
#बाल गंगाधर तिलक राजगोपालाचारी ब्राह्मण।
भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में #अटल बिहारी
वाजपेयी भी ब्राह्मण।

नेहरु सरकार से त्यागपत्र देने वाले पहले मंत्री जिन्होंने पद की
बजाय जनहित के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और कश्मीर के
सवाल पर अपने प्राणों की आहुति दी- वो
#डॉ_श्यामा प्रसा_मुखर्जी भी ब्राह्मण।
#बीजेपी_के_सबसे_बड़े सिद्धांतकार_पंडित दीनदयाल
_उपाध्याय...
हिंदू समाज की एकता, जातिविहीन समाज की स्थापना और
सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना के लिए खड़ा हुआ दुनिया
का सबसे बड़ा
#स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ_की__नींव_ए
क गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले पूज
य_डॉ हेडगेवार_जी_ने_डाली थी।
उन्होंने अपने खून का कतरा-कतरा हिंदूओं को ताकत देने और उन्हें एकसूत्र में पिरोने में खपा दिया, केवल ब्राह्मणों की चिंता नहीं की#संघ__के_दूसरे_सरसंघचालक-_डॉ_ गोलवलकर-_जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को ताकत देने के
लिए सारा जीवन समर्पित कर दिया- वो भी ब्राह्मण।

यही नहीं,
#देश में पहली_कम्यूनिस्ट सरकार_केरल में बनाने
__वाले_नंबूदरीपाद_समेत मार्क्सवादी आंदोलन के कई
प्रमुख रणनीतिकार ब्राह्मण ही थे।
समकालीन नेताओं की बात करें तो तमिलनाडु में
#जयललिता ब्राह्मण थीं,
मायावती, जिन्होंने 'तिलक-तराजू और तलावर, इनको मारो
जूते चार' जैसा अपमानजनक नारा बार-बार लगवाया, उन
पर जब लखनऊ के गेस्ट हाउस में सपा के गुंडों ने जानलेवा
हमला किया, उन्हें मारा-पीटा, उनके कपड़े फाड़े, और शायद
उनकी हत्या करने वाले थे, उस समय जान पर खेलकर उन
गुंडों से लड़ने वाले और
#मायावती_को_सुरक्षित_वहां_से_निकालने वाले
____स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी ब्राह्मण थे।

जिस #लता मंगेशकर की आवाज को ये देश सम्मोहित
होकर सुनता रहा और जिस #सचिन तेंदुलकर के हर शॉट
पर प्रत्येक जाति का युवा ताली बजाकर खुश होता रहा - ये
दोनों ही ब्राह्मण।

फिर भी, जिन्हें लगता है कि ब्राह्मण केवल मंदिर में घंटा बजाना जानता है- वो ये भी जान लें कि भारत के इतिहास का
सबसे महान घुड़सवार योद्धा और सेनानायक-जिन्होने 20 साल
के अपने राजनीतिक जीवन में 41 युद्ध लङे लेकिन कभी कोई युद्ध नहीं हारा,
जिसने मुस्लिम शासकों के आंतक से कराहते देश में भगवा
पताकाओं को चारों दिशाओं में लहरा दिया और जिसे
बाजीराव-मस्तानी फिल्म में देखकर आपने भी तालियां ठोंकी
होंगी, - वो #बाजीराव_बल्लाल भी ब्राह्मण था।

#तो ब्राह्मणों_को_कोसने वालों_इतिहास_को_ठीक_से_प
ढ़ लो..।।

सभी ब्राह्मण बन्धुओं से निवेदन करता हूं कि अपने पूर्वजों का
इतिहास बच्चों को जरूर बताएं ।
ब्राह्मणों ने सिर्फ इतिहास बदला है,,हर हर महादेव।।

★#जय_ब्राह्मण_देव* 
 विप्र धेनु सुर संत हित  लीन मनूज औतार निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन, गोपाल सियापति रामचंद्र की की जय  आप का तिवारी परिवार 


कुछ बातें हमे सोचने पर मजबूर कर ती है एक स्त्री का सौन्दर्य उसके पति लिए होता है


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एक स्त्री का सौन्दर्य उसके पति के लिए होता है।
फिर मुझे आज तक ये समझ में नहीं आयी कि ये स्त्रियाँ अपना नग्न शरीर अपने पति के अलावा किसको और क्यूँ और किसलिए दिखाती हैं। 

हमारे धर्म में तो अपने पति परमेश्वर के अलावा गैर पुरुष के लिए प्रेम होना या सोचना भी पाप माना जाता है या अपने पति के अलावा गैर से नजरें मिलाना भी हमारे लिए पाप है।

लड़कियों के अनावश्यक नग्नता वाली पोशाक में घूमने पर तर्क है इन कपड़ो के पीछे कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगें ये हम तय करेंगे पुरुष नहीं।
जी बहुत अच्छी बात है आप ही तय करें। लेकिन कुछ पुरुष भी कहते हैं हम किस लड़कियों का सम्मान, मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे। और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे। 

फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आजादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की। जी बिल्कुल आजादी है ऐसी आजादी सबको मिले। व्यक्ति को चरस गांजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो। मांस खाने की आजादी हो वैश्यालय जाने और खोलने की आज़ादी हो हर तरफ से व्यक्ति को आजादी हो हमें औरतों से क्या समस्या है। 

लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगी। क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे। 

क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं। 
जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की हमें माँ/बहन की नज़र से देखो। 

कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है। भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था। 

सत्य ये है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है। और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करती है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता भी है। 

चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में अश्लीलता को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है। अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देतीं। 

गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।

मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं है।
सभी को अपना जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार है बस तरीका सही होना चाहिए। क्योंकि गलत तरीके से इज्जत और सम्मान की आशा नहीं किया जा सकता। 
🚩जय श्री परशुराम 🚩हर हर महादेव 🚩🙏

जनेऊ एक धागा नहीं इस का अनेक फयद और जनेऊ के बारें में अनेक जानकारी आप खुद ही देख

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#जनेऊ--

जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन मे आती है
वो है धागा दूसरी चीज है ब्राम्हण ।। जनेऊ का संबंध क्या
सिर्फ ब्राम्हण से है , ये जनेऊ पहनाए क्यों है , क्या इसका
कोई लाभ है, जनेऊ क्या ,क्यों ,कैसे आज आपका परिचय
इससे ही करवाते है ----

#जनेऊ_को_उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध,
मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है ।।

हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों (आप सभी को 16 संस्कार पता
होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार है 8 उप संस्कार है जिनके
विषय मे आगे आपको जानकारी दूंगा ) में से एक 'उपनयन
संस्कार' के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है जिसे
'यज्ञोपवीतधारण करने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का
पालन करना अनिवार्य होता है। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है
"सन्निकट ले जाना" और उपनयन संस्कार का अर्थ है--
"ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना"

#हिन्दू धर्म में प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है जनेऊ पहनना
और उसके नियमों का पालन करना। हर हिन्दू जनेऊ पहन
सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे।ब्राह्मण
ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है।जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा
स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। द्विज का अर्थ
होता है दूसरा जन्म। मतलब सीधा है जनेऊ संस्कार के बाद
ही शिक्षा का अधिकार मिलता था और जो शिक्षा नही ग्रहण
करता था उसे शूद्र की श्रेणी में रखा जाता था(वर्ण
व्यवस्था)।।

#लड़की जिसे आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना हो,

वह जनेऊ धारण कर सकती है। ब्रह्मचारी तीन और विवाहित
__ छह धागों की जनेऊ पहनता है। यज्ञोपवीत के छह धागों में से

तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के बतलाए गए हैं।

#जनेऊ_का_आध्यात्मिक महत्व --

#जनेऊ_में_तीन-सूत्र - त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के
प्रतीक - देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक -
सत्व, रज और तम के प्रतीक होते है। साथ ही ये तीन सूत्र
गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक है तो तीन आश्रमों के
प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं।
अत: कुल तारों की संख्या नौ होती है। इनमे एक मुख, दो
नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा
मिलाकर कुल नौ होते हैं। इनका मतलब है - हम मुख से

अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से
__ अच्छा सुने। जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म,__ अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। ये पांच यज्ञों, पांच

ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है।

#जनेऊ_की_लंबाई : जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है
क्यूंकि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32
विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। 32 विद्याएं
चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ
अरण्यक मिलाकर होती है। 64 कलाओं में वास्तु निर्माण,
व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र
निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण,
कृषि ज्ञान आदि आती हैं।

#जनेऊ_के_लाभ --

#प्रत्यक्ष लाभ जो आज के लोग समझते है -

""जनेऊ बाएं कंधे से दाये कमर पर पहनना चाहिये""||

___ #जनेऊ में नियम है कि -

मल-मूत्र विसर्जन के दौरान जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा

लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए।
__ इसका मूल भाव यह है कि जनेऊ कमर से ऊंचा हो जाए और

अपवित्र न हो। यह बेहद जरूरी होता है।मतलब साफ है कि जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति ये ध्यान रखता
है कि मलमूत्र करने के बाद खुद को साफ करना है इससे
उसको इंफेक्शन का खतरा कम से कम हो जाता है

#वो_लाभ_जो_अप्रत्यक्ष है जिसे कम लोग जानते है -

शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी
में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कछ पॉइंट कॉमन भी
होते हैं। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता
है। और जनेऊ से हम यही काम करते है उस point को हम
एक्युप्रेश करते है ।।
कैसे आइये समझते है

#कान के नीचे वाले हिस्से (इयर लोब) की रोजाना पांच
मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है। यह टिप
पढ़नेवाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।अगर भूख कम

करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर छोटेवाले
__ हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम

लगेगी। यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है। निर्जला व्रत में
लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

एक्युप्रेशर की शब्दवली में इसे point जीवी 20 या डीयू
20-
इसका लाभ आप देखे -__ #जीबी 20-

कहां: कान के पीछे के झकाव में।
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी
नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी
असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।
(दिए गए पिक में समझे)

इसके अलावा इसके कुछ अन्य लाभ जो क्लीनिकली प्रोव है

1.#बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने
से ऐसे स्वप्न नहीं आते।
2. #जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने से यह हृदय रोग की
संभावना को कम करता है, क्योंकि इससे रक्त संचार सुचारू
रूप से संचालित होने लगता है।
3. #जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति सफाई नियमों में बंधा होता
है। यह सफाई उसे दांत, मुंह, पेट, कृमि, जीवाणुओं के रोगों
से बचाती है।

4.#जनेऊ_को_दायें कान पर धारण करने से कान की वह
_ नस दबती है, जिससे मस्तिष्क की कोई सोई हुई तंद्रा कार्य
__ करती है।
ए  सब जानकारी  बहुत  से ग्रंथों से छूटाइ गयी हैं  
आप का तिवारी परिवार 

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

हिन्दू वो पर हमे सरम आती है डूब मरो धिक्कार है तुम्हारी निद्रा पार और सोते रहो तुम लोग जब तुम्हारी आने वालीं पीडीही तुम से पूछे गी तो तुम क्या जबाब दोगे की तब सेकुलर बनकर सो रहे थे

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वोटर ID कार्ड पर पड़ा बुर्का आज हट गया

सारे काग़ज़ बाहर निकलने के लिये मचल उठे हैं 

कल रात से ही जुम्मन मियाँ को नींद नहीं आ रही थी । जुम्मन मियाँ के दिल में तूफ़ान उठ रहा था । कल सुबह उनको वोट डालना था और इसकी खुशी उनके दिलो दिमाग़ में उछल कूद मचा रही थी । बड़ी मुश्किल से जुम्मन मियाँ सो पाए थे और सुबह उठते ही उनके दिल में पहला ख्याल यही आया कि आज बीजेपी के खिलाफ वोट डालना है । इस ख्याल ने एक बार फिर उनके ज़ेहन में सिर से पाँव तक सरसरी दौड़ा दी । लिहाज़ा... उन्होंने फौरन अरब की दिशा की तरफ मुंह करके सुबह की नमाज़ अता की और भारत में वोट डालने का अधिकार देने वाले अपने सारे काग़ज़ों की तरफ रुख किया ।

जुम्मन मियाँ ने अपने वोटर आईडी कार्ड को चूम लिया । यही वो काग़ज़ है जिसके बारे में उन्होंने रवीश जी को इंटरव्यू दिया था और बताया था कि उनका कागज तो बाढ़ में बह गया है । यही वो कागज है जिसके बारे में अरफा ने सवाल पूछा था तो उन्होंने जवाब दिया था कि काग़ज़ तो बकरी खा गई और बकरी को काटकर हम खा गए । यही वो कागज था जिसके लिये शाहीन बाग में महीने भर से जिहाद का जलसा चल रहा है । और यही वो काग़ज़ है जो आज वोट देने के लिए मचल रहा था । 

जुम्मन मियाँ को अपने वोटर आईडी कार्ड से उतनी ही मोहब्बत थी जितनी मुगलों के जमाने में बाबर और औरंगजेब को अपनी तलवार से थी । जुम्मन मियाँ आज अपने वोटर आईडी कार्ड को सहला सहला कर धार दे रहे थे । पुरानी और वंशानुगत आदतें इतनी आसानी से जाती भी कहां हैं । 

उसी वक्त उनके दिल में ये ख्याल आया कि आखिर वोट देना किसको है ? ये ख्याल आते ही कि वोट आम आदमी पार्टी को देना है उनका मुँह बहुत कड़वा हो गए । नामुराद.. केजरीवाल.. काफिर... हनुमान चालीसा पढ़ रहा था । बुतपरस्ती इस्लाम में नाक़ाबिले बर्दाश्त है ये सब ख्याल जुम्मन मियाँ को परेशान करने लगे । तभी उनकी रूह के अंदर से आवाज़ उठी.. जो सबसे कम राष्ट्रवादी है सबसे कम देशभक्त है और सबसे ज्यादा मुस्लिम परस्त है उसको वोट देना ही फ़र्ज़ है । 

और फिर अचानक जुम्मन मियां  ख्वाबों की दुनिया में चले गए । उनको मुगल राज नज़र आने लगा । मुगल राज जब आएगा... तब हम सारे वोटर आईडी कार्ड जलवा देंगे.. सारे काग़ज़ कुएँ में फेंकवा देंगे । अचानक ख्वाबों के धुँधलके में मुग़लिया दरबार की महफ़िलें नज़र आने लगी... अनारकली दरबार में नाचने लगीं .. कनीज़ें बोसा करने लगीं। काफिर औरतें बाज़ारों में बिकने लगी । मुश्रिकों की गर्दनें धड़ से उतरने लगीं । धरती डोलने लगी.. आसमान हिलने लगा... रूहें क़ब्रों से उठने लगीं... दरबार सजने लगा... जन्नत नजर आने लगीं.. हूरें गाउन तकिया लगाए उनका इंतज़ार करने लगीं.. तभी अचानक सलमा आ गईं.. उन्होंने ज़ोर से जुम्मन मियाँ को हिलाया और बोला... चलिए वोट देने चलना है किन ख्यालों में खोए हुए हैं ।

जुम्मन मियाँ के ख्वाबों के तार टूट गए । अचानक बुर्के में अपनी बीवी को देखा... कहां वो हूरों का हुस्न.. 72 पर्दों में ढकने के बाद भी नज़र आते लजीज़ अंग प्रत्यंग और कहां... । मियाँ को गुस्सा आ रहा था लेकिन वोट देना जरूरी था । उन्होंने अपनी घड़ी देखी... जो असलम मियाँ उनके लिए दुबई से लाए थे । उस घड़ी को वो दुनिया की सबसे नायाब घड़ी मानते थे । बहरहाल सुबह के आठ बज गए थे । और वो अपने पूरे परिवार के साथ पोलिंग बूथ की तरफ बढ़ चले । उन्होंने अपना वोट डाल दिया है । और उनके मन में कोई शर्मिंदगी भी नहीं है कि वो इतने दिनों से झूठ बोल रहे थे । लेकिन फिर उनको तालीम याद आ गई । काफिरों के खिलाफ की गई चालबाज़ी पर कोई सज़ा नहीं होती.. सिर्फ आपसी भाईचारे में कोई चालबाज़ी नहीं करनी चाहिए ।

इसी हिंदुस्तान में उनके पुरखों ने पाकिस्तान बनाने के लिए मुस्लिम लीग को वोट डाला था और इसी हिंदुस्तान में आज वो पाकिस्तान परस्त पार्टियों को वोट डालते हैं । बाकी शी शी शी शी... हिंदू सो रहा है.. उसे सोने दो !


सत्यमेव जयते

वसुधैव कुटुम्बकम्

मुझे हिन्दूवो के बारें  में लिखने मे अब सरम आती है 
और क्या लिखूं आप लोग खुद ही समझदार  
आप का तिवारी परिवार  जय हिंद  जय भारत  जय सनातन 

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

हिंदुओं ने विवाह की परंपरा क्यों बदली?

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#हिन्दुओं में #विवाह #रात्रि में #क्यों #होने #लगे ?

क्या कभी आपने सोचा है कि हिन्दुओं में रात्रि को विवाह क्यों होने लगे हैं, जबकि हिन्दुओं में रात में शुभकार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि ये निशाचरी समय होता है ?
  रात को देर तक जागना और सुबह को देर तक सोने को, राक्षसी प्रवृति बताया जाता है। रात में जागने वाले को निशाचर कहते हैं।

केवल तंत्र सिद्धि करने वालों को ही रात्रि में हवन व यज्ञ की अनुमति है।

वैसे भी प्राचीन समय से ही सनातन धर्मी हिन्दू दिन के प्रकाश में ही शुभ कार्य करने के समर्थक रहे हैं। तब हिन्दुओं में रात की विवाह की परम्परा कैसे पड़ी ?

कभी हम अपने पूर्वजों के सामने यह सवाल क्यों नहीं उठाते हैं  या  स्वयं इस प्रश्न का हल क्यों नहीं खोजते हैं ?

दरअसल भारत में सभी उत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संस्कार दिन में ही किये जाते थे चूंकि ये सनातनी परम्परा है। सीता और द्रौपदी का स्वयंवर भी दिन में ही हुआ था। शिव विवाह से लेकर संयोगिता स्वयंवर (बाद में पृथ्वीराज चौहान जी द्वारा संयोगिता जी की इच्छा से उनका अपहरण) आदि सभी शुभ कार्यक्रम दिन में ही होते थे।

प्राचीन काल से लेकर मुगलों के आने तक भारत में विवाह दिन में ही हुआ करते थे। मुस्लिम  आक्रमणकारियों के भारत पर हमले करने के बाद ही, हिन्दुओं को अपनी कई प्राचीन परम्पराएं तोड़ने को विवश होना पड़ा था।

मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा भारत पर अतिक्रमण करने के बाद भारतीयों पर बहुत अत्याचार किये गये। यह आक्रमणकारी  हिन्दुओं के विवाह के समय वहां पहुंचकर लूटपाट मचाते थे। अकबर के शासन काल में, जब अत्याचार चरमसीमा पर थे, मुग़ल सैनिक हिन्दू लड़कियों को बलपूर्वक उठा लेते थे और उन्हें अपने आकाओं को सौंप देते थे।

भारतीय ज्ञात इतिहास में सबसे पहली बार रात्रि में विवाह सुन्दरी और मुंदरी नाम की दो ब्राह्मण बहनों का हुआ था, जिनकी विवाह दुल्ला भट्टी ने अपने संरक्षण में ब्राह्मण युवकों से कराया था।
उस समय दुल्ला भट्टी ने अत्याचार के खिलाफ हथियार उठाये थे। दुल्ला भट्टी ने ऐसी अनेकों लड़कियों को मुगलों से छुड़ाकर, उनका हिन्दू लड़कों से विवाह कराया।

उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों के आतंक से बचने के लिए हिन्दू रात के अँधेरे में विवाह करने पर मजबूर होने लगे। लेकिन रात्रि में विवाह करते समय भी यह ध्यान रखा जाता है कि ...... नाचना-गाना, दावत, जयमाला, आदि भले ही रात्रि में हो जाए लेकिन वैदिक मन्त्रों के साथ फेरे प्रातः पौ फटने के बाद ही हों।

पंजाब से प्रारम्भ हुई परंपरा को पंजाब में ही समाप्त किया गया।
फिल्लौर से लेकर काबुल तक महाराजा रंजीत सिंह का राज हो जाने के बाद उनके सेनापति हरीसिंह नलवा ने सनातन वैदिक परम्परा अनुसार दिन में खुले आम विवाह करने और उनको सुरक्षा देने की घोषणा की थी। 
हरीसिंह नलवा के संरक्षण में हिन्दुओं ने दिनदहाड़े - बैंडबाजे के साथ विवाह शुरू किये।
तब से पंजाब में फिर से दिन में विवाह का प्रचालन शुरू हुआ। पंजाब में अधिकांश विवाह आज भी दिन में ही होते हैं।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक, केरल, असम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा एवम् अन्य राज्य भी धीरे धीरे अपनी जड़ों की ओर लोटने लगे हैं। अतः इन प्रदेशों में दिन में विवाह होते हैं।
हरीसिंह नलवा ने मुसलमान बने हिन्दुओं की घर वापसी कराई, मुसलमानों पर जजिया कर लगाया, हिन्दू धर्म की परम्पराओं को फिर से स्थापित किया, इसीलिए उनको “पुष्यमित्र शुंग” का अवतार कहा जाता है।

सभी विवाह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त ब्रह्ममुहूर्त में ही संपादित किये जाते हैं।  ध्रुवतारा को स्थिरता के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो ब्रह्ममुहूर्त में ही सबसे अच्छा दृष्टिगोचर होता है ।

लेकिन साक्षी सूर्य के प्रतीक स्वरूप अग्नि को ही माना जाता है। इसीलिए अग्नि के ही चारों ओर फेरे लिए जाने की विधि है।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने भी अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में रात्रि विवाह का पूर्ण खण्डन किया है।  पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के अनुसार भी हिन्दू गायत्री परिवार में  विवाह दिन में ही सम्पन्न किये जाते हैं ....!!

आज भी, हम भारत के लोग, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं बिहार के लोग, जबकि 400 साल हो गए मुगल यहां से चले गए, किन्तु आज भी उसे परंपरा मानकर उसे चला रहे हैं! असल में हम गुलामी की मानसिकता से उबरना ही नहीं चाहते हैं !

आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इस प्रथा पर आप सब एक बार अवश्य विचार करें एवं अपनी पुरानी धुरी पर अवश्य वापस लौटें ।
आगे आप लोग  खुद  ही समझदार  है  
आप का तिवारी परिवार 

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...