सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

कुछ बातें हमे सोचने पर मजबूर कर ती है एक स्त्री का सौन्दर्य उसके पति लिए होता है


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एक स्त्री का सौन्दर्य उसके पति के लिए होता है।
फिर मुझे आज तक ये समझ में नहीं आयी कि ये स्त्रियाँ अपना नग्न शरीर अपने पति के अलावा किसको और क्यूँ और किसलिए दिखाती हैं। 

हमारे धर्म में तो अपने पति परमेश्वर के अलावा गैर पुरुष के लिए प्रेम होना या सोचना भी पाप माना जाता है या अपने पति के अलावा गैर से नजरें मिलाना भी हमारे लिए पाप है।

लड़कियों के अनावश्यक नग्नता वाली पोशाक में घूमने पर तर्क है इन कपड़ो के पीछे कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगें ये हम तय करेंगे पुरुष नहीं।
जी बहुत अच्छी बात है आप ही तय करें। लेकिन कुछ पुरुष भी कहते हैं हम किस लड़कियों का सम्मान, मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे। और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे। 

फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आजादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की। जी बिल्कुल आजादी है ऐसी आजादी सबको मिले। व्यक्ति को चरस गांजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो। मांस खाने की आजादी हो वैश्यालय जाने और खोलने की आज़ादी हो हर तरफ से व्यक्ति को आजादी हो हमें औरतों से क्या समस्या है। 

लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगी। क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे। 

क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं। 
जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की हमें माँ/बहन की नज़र से देखो। 

कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है। भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था। 

सत्य ये है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है। और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करती है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता भी है। 

चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में अश्लीलता को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है। अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देतीं। 

गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।

मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं है।
सभी को अपना जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार है बस तरीका सही होना चाहिए। क्योंकि गलत तरीके से इज्जत और सम्मान की आशा नहीं किया जा सकता। 
🚩जय श्री परशुराम 🚩हर हर महादेव 🚩🙏

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