
वोटर ID कार्ड पर पड़ा बुर्का आज हट गया
सारे काग़ज़ बाहर निकलने के लिये मचल उठे हैं
कल रात से ही जुम्मन मियाँ को नींद नहीं आ रही थी । जुम्मन मियाँ के दिल में तूफ़ान उठ रहा था । कल सुबह उनको वोट डालना था और इसकी खुशी उनके दिलो दिमाग़ में उछल कूद मचा रही थी । बड़ी मुश्किल से जुम्मन मियाँ सो पाए थे और सुबह उठते ही उनके दिल में पहला ख्याल यही आया कि आज बीजेपी के खिलाफ वोट डालना है । इस ख्याल ने एक बार फिर उनके ज़ेहन में सिर से पाँव तक सरसरी दौड़ा दी । लिहाज़ा... उन्होंने फौरन अरब की दिशा की तरफ मुंह करके सुबह की नमाज़ अता की और भारत में वोट डालने का अधिकार देने वाले अपने सारे काग़ज़ों की तरफ रुख किया ।
जुम्मन मियाँ ने अपने वोटर आईडी कार्ड को चूम लिया । यही वो काग़ज़ है जिसके बारे में उन्होंने रवीश जी को इंटरव्यू दिया था और बताया था कि उनका कागज तो बाढ़ में बह गया है । यही वो कागज है जिसके बारे में अरफा ने सवाल पूछा था तो उन्होंने जवाब दिया था कि काग़ज़ तो बकरी खा गई और बकरी को काटकर हम खा गए । यही वो कागज था जिसके लिये शाहीन बाग में महीने भर से जिहाद का जलसा चल रहा है । और यही वो काग़ज़ है जो आज वोट देने के लिए मचल रहा था ।
जुम्मन मियाँ को अपने वोटर आईडी कार्ड से उतनी ही मोहब्बत थी जितनी मुगलों के जमाने में बाबर और औरंगजेब को अपनी तलवार से थी । जुम्मन मियाँ आज अपने वोटर आईडी कार्ड को सहला सहला कर धार दे रहे थे । पुरानी और वंशानुगत आदतें इतनी आसानी से जाती भी कहां हैं ।
उसी वक्त उनके दिल में ये ख्याल आया कि आखिर वोट देना किसको है ? ये ख्याल आते ही कि वोट आम आदमी पार्टी को देना है उनका मुँह बहुत कड़वा हो गए । नामुराद.. केजरीवाल.. काफिर... हनुमान चालीसा पढ़ रहा था । बुतपरस्ती इस्लाम में नाक़ाबिले बर्दाश्त है ये सब ख्याल जुम्मन मियाँ को परेशान करने लगे । तभी उनकी रूह के अंदर से आवाज़ उठी.. जो सबसे कम राष्ट्रवादी है सबसे कम देशभक्त है और सबसे ज्यादा मुस्लिम परस्त है उसको वोट देना ही फ़र्ज़ है ।
और फिर अचानक जुम्मन मियां ख्वाबों की दुनिया में चले गए । उनको मुगल राज नज़र आने लगा । मुगल राज जब आएगा... तब हम सारे वोटर आईडी कार्ड जलवा देंगे.. सारे काग़ज़ कुएँ में फेंकवा देंगे । अचानक ख्वाबों के धुँधलके में मुग़लिया दरबार की महफ़िलें नज़र आने लगी... अनारकली दरबार में नाचने लगीं .. कनीज़ें बोसा करने लगीं। काफिर औरतें बाज़ारों में बिकने लगी । मुश्रिकों की गर्दनें धड़ से उतरने लगीं । धरती डोलने लगी.. आसमान हिलने लगा... रूहें क़ब्रों से उठने लगीं... दरबार सजने लगा... जन्नत नजर आने लगीं.. हूरें गाउन तकिया लगाए उनका इंतज़ार करने लगीं.. तभी अचानक सलमा आ गईं.. उन्होंने ज़ोर से जुम्मन मियाँ को हिलाया और बोला... चलिए वोट देने चलना है किन ख्यालों में खोए हुए हैं ।
जुम्मन मियाँ के ख्वाबों के तार टूट गए । अचानक बुर्के में अपनी बीवी को देखा... कहां वो हूरों का हुस्न.. 72 पर्दों में ढकने के बाद भी नज़र आते लजीज़ अंग प्रत्यंग और कहां... । मियाँ को गुस्सा आ रहा था लेकिन वोट देना जरूरी था । उन्होंने अपनी घड़ी देखी... जो असलम मियाँ उनके लिए दुबई से लाए थे । उस घड़ी को वो दुनिया की सबसे नायाब घड़ी मानते थे । बहरहाल सुबह के आठ बज गए थे । और वो अपने पूरे परिवार के साथ पोलिंग बूथ की तरफ बढ़ चले । उन्होंने अपना वोट डाल दिया है । और उनके मन में कोई शर्मिंदगी भी नहीं है कि वो इतने दिनों से झूठ बोल रहे थे । लेकिन फिर उनको तालीम याद आ गई । काफिरों के खिलाफ की गई चालबाज़ी पर कोई सज़ा नहीं होती.. सिर्फ आपसी भाईचारे में कोई चालबाज़ी नहीं करनी चाहिए ।
इसी हिंदुस्तान में उनके पुरखों ने पाकिस्तान बनाने के लिए मुस्लिम लीग को वोट डाला था और इसी हिंदुस्तान में आज वो पाकिस्तान परस्त पार्टियों को वोट डालते हैं । बाकी शी शी शी शी... हिंदू सो रहा है.. उसे सोने दो !
सत्यमेव जयते
वसुधैव कुटुम्बकम्
मुझे हिन्दूवो के बारें में लिखने मे अब सरम आती है
और क्या लिखूं आप लोग खुद ही समझदार
आप का तिवारी परिवार जय हिंद जय भारत जय सनातन
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