रविवार, 28 अक्टूबर 2018

भारत ही नहीं पूरे विश्व में है भगवान राम के साक्ष्य।।

समय निकाल कर पूरा पढ़े
भारत के बाहर थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज ” राज्य कर रहे हैं , जिन्हें नौवां राम कहा जाता है l*
*भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास*
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है , क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे, रामायण के बालकाण्ड के सर्ग, 70 / 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है, जिसका सारांश है।
मिथिला के राजा सीरध्वज थे, जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा ( सुनयना ) था, जिनकी पुत्री सीता जी थीं, जिनका विवाह राम से हुआ था l राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे l इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी जो इक्षुमती नदी के किनारे थी l इन्होंने अपनी बेटी उर्मिला लक्षमण से, मांडवी भरत से, और श्रुतिकीति का विवाह शत्रुघ्न से करा दी थी l केशव दास रचित ”रामचन्द्रिका“ पृष्ठ 354 (प्रकाशन संवत 1715) के अनुसार, राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे l
*भगवान राम के समय ही राज्यों बँटवारा*
पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावतीl कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था l थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है l चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है, और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को “राम” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं l जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं जिनका नाम “भूमिबल अतुल्य तेज ” है।
*थाईलैंड की अयोध्या*
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं, क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है, देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है “क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”
थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इस नाम की एक और विशेषता ह l इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता हैl कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या l थाई लैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं l
*असली राम राज्य थाईलैंड में है*
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं, इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है, थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई।
भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं। थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।
*थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है*
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l जिसे थाई भाषा में ”राम कियेन” कहते हैं l जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी, जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ, क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है, जो नाम के हिन्दू हैं, हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग हैं l
थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है l राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं-
1. राम (राम)
2. लक (लक्ष्मण)
3. पाली (बाली)
4. सुक्रीप (सुग्रीव)
5. ओन्कोट (अंगद)
6. खोम्पून ( जाम्बवन्त )
7. बिपेक ( विभीषण )
8. तोतस कन (दशकण्ठ) रावण
9. सदायु ( जटायु )
10. सुपन मच्छा (शूर्पणखा)
11. मारित ( मारीच )
12. इन्द्रचित (इंद्रजीत) मेघनाद
*थाईलैंड में हिन्दू देवी देवता*
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैं l वहां कभी सम्प्रदायवादी दंगे नहीं हुए l थाई लैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते है, उनके नाम इस प्रकार हैं
1. ईसुअन (ईश्वन) ईश्वर शिव
2. नाराइ (नारायण) विष्णु
3. फ्रॉम (ब्रह्म) ब्रह्मा
4. इन ( इंद्र )
5. आथित (आदित्य) सूर्य
6 . पाय ( पवन ) वायु
*थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़*
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है, जो लगभग लुप्त हो गया है l अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The Brahminy Kite ) कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur Indus” है l फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था, और इसका नाम Falco Indus रख दिया था, इसने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा था l इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है l इसीलिए भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया है l चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं, और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है, और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं, इसलिए उन्होंने ”गरुड़” को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है l यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है।
*सुवर्णभूमि हवाई अड्डा*
हम इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझें या दुर्भाग्य, क्योंकि हिन्दू बहुल देश होने पर भी देश के कई शहरों के नाम मुस्लिम हमलावरों या बादशाहों के नामों पर हैं l यहाँ ताकि राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों के नाम तक मुग़ल शाशकों के नाम पर हैं l जैसे हुमायूँ रोड, अकबर रोड, औरंगजेब रोड इत्यादि, इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है l इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था l इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग, मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था l नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप के रूप में विष्णु थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है।
इस लेख का उदेश्य लोगों को यह बताना है कि असली सेकुलरज्म क्या होता है, यह थाईलैंड से सीखो l अपनी संस्कृति की उपेक्षा कर के कोई भी समाज अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकती।
आजकल सेकुलर गिरोह के मरीच सनातन संस्कृति की उपेक्षा और उपहास एक सोची समझी साजिश के तहत कर रहे हैं और अपनी संस्कृति से अनजान नवीन पीढ़ी अन्धो की तरह उनका अनुकरण कर रही है।
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गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

राम के कुल की सन रचना इसपरकार हुई है

🏹🏹🏹🏹🏹🏹कभी सोचा है की प्रभु 🏹🏹श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~मानस में राम शब्द = 1443 बार आया है।
2:~मानस में सीता शब्द = 147 बार आया है।
3:~मानस में जानकी शब्द = 69 बार आया है।
4:~मानस में बैदेही शब्द = 51 बार आया है।
5:~मानस में बड़भागी शब्द = 58 बार आया है।
6:~मानस में कोटि शब्द = 125 बार आया है।
7:~मानस में एक बार शब्द = 18 बार आया है।
8:~मानस में मन्दिर शब्द = 35 बार आया है।
9:~मानस में मरम शब्द = 40 बार आया है।

10:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
11:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
12:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
13:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
14:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
15:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
16:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

17:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
18:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
19:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
20:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
21:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
22:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
23:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

24:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
25:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

26:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
27:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
28:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।
यह जानकारी  महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है ।
तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये
जय श्री राम
🙏�  जय श्री राम   🙏 आप का तिवारी परिवार जय  राम जी की

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

योगीजी इन सब चिजो के नाम इस परकार से होना चहिये

मेरा मानना है कि सिर्फ शहरों और स्टेशनों का नाम बदलने से न हो पायेगा...... फलों और सब्जियों का भी नाम बदला जाय तब कहीं जाकर प्रदेश असल तरक्की करेगा

शरीफा है गर 'सीताफल'
तो पपीता 'पिता फल'
और करेला 'तीखाफल'
बेर को बोलो 'झूठाफल'

आम का हो नाम 'सामान्य'
बेल को बोलो फल 'गणमान्य'
अंगूर होगा 'अंगअप्सरा'
भिंडी होगी 'स्त्रीलक्षणा'

अननास 'अन्ननाश'
सेब तो होगा 'सर्वनाश'
तर-बूज  का रख्खो देसी नाम
इसे पुकारो 'द्रवित-मदिरापान'
खरबूजे का क्या हो नाम
'पीतवर्ण द्रवित मदिरापान'

ना-रियल 'ना-वास्तविक' हो जायगा
क-टहल 'क-विचरण' कहलाएगा
ककडी होगी 'आम्रपाली'
परवल होगा 'तुच्छ मवाली'

शहतूत की हिन्दी 'सम्राटतूत'
बैगन होगा 'नीलाभूत'
जामुन होगा 'छोटाभूत'
मशरूम तो है ही 'कूकुरमूत'

सौंफ को बोलो 'स्वादिष्ट जीरा'
मौसमी होगा 'खट्टा नीरा'
कटहल तो है 'पेट का पीरा'
औ सन्तरे को अब बोल 'योगीरा'

'कठोरपुष्प' फिर होगी गोभी
खजूर को कह दो 'देशद्रोही'

अच्छा लगे तो सेर जरूर  किजिये 
आप का तिवारी परिवार

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

मै लंकापति रावण हू मेरी बात सुनो

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रावण की भी सुनिये
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   मै  रावण हूँ, आज आप सब लोग मुझे हर गाँव हर शहर मे जलायेगे ओर सब कहेंगे कि अच्छाई पर बुराई की जीत हुई ,लेकिन ज़रा सब सोचे ओर चिंतन करे कि क्या वाकई मे मॆ इतना बुरा था? जितना कि आज इंसान हो गया है, अगर मेरी बहिंन का अपमान लक्षमणजी के द्वारा न किया जाता तो मैं सीता का हरण क्यों करता, फ़िर सीता को लाने के बाद मैंने सीता के साथ कोई भी जबरदस्ती नही की न ही उनका अपमान किया मेने तो सिर्फ उनके उत्तर की प्रतिक्षा की तीनो लोक मॆ मेरे समान कोई भी बलशाली नही था फ़िर भी मैं अपनी मर्यादा में ही रहा सीता की पवित्रता पर कोई आँच न आने दी मॆ चाहता तो सीता को अपने महल मॆ जबरदस्ती रख सकता था लेकिन मॆ जानता था कि इससे सीता के चरित्र पर व्यर्थ ही संदेह पैदा होगा इसलिये मेने सीता को महल से दूर आशोक वाटिका मॆ परिचायको के साथ रखा
  राम को सब मर्यादा पुरुषोत्तम कहते है लेकिन मेरे पुत्र भाई सम्बन्धी सभी म्रत्यु को प्राप्त हो गये लेकिन मेने कभी इस बात का ले कर उसका बदला सीता से नही लिया, मैं अंत समय तक अपनी मर्यादा मॆ रहा तो बताओ मर्यादा पुरुषोत्तम कौन था।
मेरे सोने की लंका मॆ कोई गरीब नही था सभी को न्याय मिलता था, मगर मेरी प्रजा सम्पन्न ओर आराम से रहती थी
    जब हनुमान ने मेरे पुत्र का वध कर दिया तब भी मेने राज़ धर्म का पालन करते हुऐ सिर्फ पूँछ मॆ अग्नि लगाने की सज़ा दी हाल कि इससे मेरा पूरा नगर जल गया जब अंगद मेरे पास आया तो मेने मित्र का पुत्र होने का उसे पूरा सम्मान दिया स्नेह दिया जब कि मॆ चाह्ता तो उसे बन्दी बना सकता था
   मेरे सारे भाई कुम्भकरण सहित मुझसे स्नेह करते थे बस सिर्फ विभीषण ही मेरी भावना को नही समझता था मॆ कहता था कि मेरे राज्य मॆ सिर्फ भगवान शंकर की उपासना होगी या मेरी लेकिन वो विष्णु को भगवान मानता था फ़िर भी मेने उसके साथ कोई अत्याचार नही किया
मॆ जानता था कि विभीषण राम के प्रति सहानभूति रखता हॆ फ़िर भी मेने उसे राम की शरण मॆ जाने दिया क्या भाई को आपनी मातृमूमि को संकट मॆ देखने के बावजूद शत्रु की शरण मॆ जाना क्या धर्म संगत था मॆ चाह्ता तो विभीषण को बन्दी बना सकता था उसे देश द्रोह के आरोप मॆ मृत्यूँ दंड दे सकता था मगर मेने ऐसा नही किया उसे राम के पास जाने दिया क्यो कि मॆ जानता था कि मॆ अब अपने पुत्र सम्बन्धीयों सहितमारा जाऊँगा तो मेरे वंश मॆ कोई तो जीवित रहे मेरा वंश समाप्त न हो तो इसके लिये मेने विभीषण को चुना वो शान्त मॄदु भाषी ओर धार्मिक  पृवतिका था   मेरे नाभि मॆ अमृत हॆ ये बात सिर्फ विभीषण ही जानता था उसको मेने राम के पास जाने दिया ये मेरी रणनीति थी
कई सदियों से मुझे जलाया जा रहा हॆ जब की मेने इस बात का पश्चाताप भी राम से प्रकट कर दिया था मुझे माफ नही किया किंतु आज कल मुझे जलाने वाले स्वयं क्या कर रहे ?
इस देश मॆ स्त्री के साथ कितना अमानवीय व्यवहार हो रहा हॆ  एक दंम्पति और उनके दो मासूम बच्चो को जिन्दा जला दिया, क्या ये आप लोगों को दिखाई नही दे रहा हॆ छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार उन्हे मार देना ओर फ़िर मुझे जलाना क्या न्यायोचित हॆ
या तो अपनी इन परवर्तीयों पर रोक लगाओ या फ़िर मुझे जलाना बंद करो...

       हर हर महादेव
     जय श्री महात्मा रावण
आप का तिवारी परिवार

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

फिर का ज्ञान बटना कितना असान है उस

जो #यूपी_बिहार वाले लोग अपने गांव घरों में सुरक्षित बैठकर ये ज्ञान पेल रहे हैं कि...,
“गुजरात से भगाए जानेवाले उत्तर भारतीय बुजदिल हैं...,
मैं होता तो ये कर देता वो कर देता...,उन्हें लड़ना चाहिए”
कुछ लोग तो गुजरातियों को चैलेंज भी दे रहे हैं कि दम है तो यूपी बिहार आके दिखएँ

उन सभी से कुछ बातें कहना चाहता हूँ...,
हमारे बाप दादा यहाँ महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में लड़ने की तैयारी से नहीं आये थे...,बड़ी मशक्कत और परिश्रम के बाद उन लोगों ने यहाँ कदम जमाए...
जिसकी वजह से उनकी अगली पीढियां(मेरे जैसी) यहाँ पढ़लिखकर आसानी से एक वेल सेटेल्ड 9-5 जॉब कर पा रहे हैं...,

और न ही हमने अपने घरों में कोई गड़ासा तलवार कोइता आदि हथियार रखा हुआ है कि... सैकड़ो की भीड़ का मुकाबला कर लेंगे...,हम लोग यहाँ अपने परिवार के साथ रहते हैं...!
और अगर हम लोग इतने ही बड़े लड़ाकू होते तो गांव में भाई पटीदार की लड़ाई से तंग आकर अपना घर नहीं छोड़ते...,
इतने ही बड़े लड़ाकू होते तो जातिवाद की लड़ाई लड़ के खुद यूपी बिहार को सर्वोत्तम बना देते...!

और एक बात बताओ लड़े भी तो किससे लड़ें...उनसे जिन्होंने हमें अपने राज्य में आश्रय दिया...जिनके साथ हमारा रोज का उठना बैठना है...जिनका हम खा रहे हैं...!
या फिर उनसे लड़े जिन्होंने हमें रोजगार दे रखा है...जिस company  में जॉब करता हूँ वो एक गुजराती साहब की ही है...!

दो उदाहरण पेश करता हूँ आपके सामने

आज से दस साल पहले महाराष्ट्र में भी यही स्थिति हुई थी तब बहुत छोटा था मैं लेकिन मुझे अच्छे से याद है...,
स्थिति संभालने के बजाय हमारे यूपी बिहार के नेता बयानबाजी पेलने लगे...,
किसी ने कहा मुंबई किसी के बाप नहीं है
किसी ने कहा हम बम्बई आकर छठ पूजा करूँगा देखता हूँ कौन हमको रोकता है...,
इन बयानबाजी की वजह से मामला और भड़क गया...कई जगहों पर लोग और हिंसक हो गए...!
ये बयान पेलने वाले महान नेतागन वही थे जिन्होंने यूपी बिहार की ऐसी तैसी कर रखी है...!

दूसरा उदाहरण-
एक बार महाराष्ट्र के किसी लोकल नेता ने कहा कि यहाँ से गुजराती व्यापारियों भगा दिया जाएगा...उस समय गुजरात के CM नरेंद्र मोदी थे...उन्होंने एक कुशल नेता का परिचय देते हुए इस बात पर कोई रिऐक्शन ही नहीं दिया...नतीजा ये हुआ कि मामला वहीं खत्म...!

बस ये कहना चाहता हूँ कि तब के जमाने मे सिर्फ टेलीविजन और न्यूजपेपर ही हुआ करते थे...,इसलिए लोगों तक सिर्फ नेताओं की बात पहुँचती थी....!
आज सोशल मीडिया है आम इंसान भी शेयर करे तो दुनिया मे कहीं भी पहुंच सकता है...,तो यहाँ सोशल मीडिया पर बहादुरी दिखाने के बजाए स्थिति को संभालने की कोशिश करें...!
ऐसा कुछ भी न लिखें जिससे मामला बढ़े...और ये चैलेंज देना बंद करें!

14 महीने की बच्ची की जान गई है...,लोगों का आक्रोषित होना स्वाभाविक है...अब देश की परम्परा ही यही रही है आक्रोश शांत करने की...एक व्यक्ति की वजह से सारे समुदाय को झेलना पड़ता ही है...! वैसे भी राज्य भाजपा शाषित है तो वहाँ राजीनतिक षड्यंत्र तो खेला ही जायेगा...!

तीनों राज्य के CM एक दूसरे के सम्पर्क में हैं तीनों जगह सरकार भी एक ही पार्टी की है...प्रशासन पर भरोसा रखें सब कुछ सामान्य हो जाएगा बस थोड़ा समय लगेगा...अफवाहों से बचे और अफवाह फैलाये भी न...!

यदि कोई बात बुरी लगी हो तो छोटा भाई समझकर क्षमा कर दीजिएगा...  एक यूपीवाला....एक मुंबईकर....एक भारतीय

नोटा का कोई जवाब नहीं ।

हाल ही में एनडीटीवी के प्रोमोटर प्रणय रॉय के ठिकानों पर छापेमारी की खबरें चर्चा में थीं। सीबीआई के उन छापों ने देश को हैरान नहीं किया था क्योंकि जिस तरह एनडीटीवी ने सरकारी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था उससे इस सरकार का देर सबेर विचलित होना तय था। सरकार की उम्मीद के खिलाफ डरा सहमा मीडिया अचानक उचक कर एक साथ खड़ा हो गया।

उसके बाद द वायर की सनसनीखेज़ स्टोरीज़ में से एक ने अमित शाह के कुलदीपक श्री जय शाह को कटघर में ला खड़ा किया। वायर के तेवरों से साफ था कि वो सरकार से दो-दो हाथ करने उतरा है, तो जब एक कारोबारी पर लगे इल्ज़ामों की सफाई देने बीजेपी प्रवक्ता मैदान में आए ये साफ हो गया कि वायर को सज़ा मिलेगी। द वायर के खिलाफ मानहानि के मुकदमों ने वही साबित किया। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान वायर के प्रतिनिधि ने मेरे एक सवाल के जवाब में बताया भी था कि वो लोग उन मुकदमों को पूरी हिम्मत से लड़ रहे हैं।  हालांकि बहुत लोग मानेंगे कि अपने तेवर ढीले ना करनेवाले वायर पर अगले ज़ोरदार हमले की सभी को आशंका है।

इस बीच पिछले करीब डेढ़ साल से क्विंट के वीडियोज़ और खबरों ने सरकार की  नींद हराम कर दी थी। मोदी की आर्थिक नीतियों का जैसा बैंड राघव बहल और संजय पुगलिया जैसे आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ पत्रकारों ने बजाया था उससे ये भ्रम आम लोगों के बीच से छंटने लगा कि सरकार के कथित सुधार राष्ट्रहित में हैं। पूंजीपतियों के गले में हाथ डालकर झूम रहे प्रधानसेवक और छोटे सेवकों को घबराहट हो रही थी.. और फिर आज सुबह खबर आ भी गई कि इनकम टैक्स विभाग ने क्विंट के के संस्थापक संपादक राघव बहल के ठिकानों पर छापे मारे हैं। द न्यूज़ मिनट वेबसाइट के बैंगलोर दफ्तर पर भी छापेमारी की खबर है जिसमें क्विंट की हिस्सेदारी है।

पत्रकारों और पत्रकारिता संस्थानों को लाइन पर लाने के लिए सरकार के ये हथकंडे कोई नए नहीं हैं। दुनिया भर में यही होता है। ट्रंप के अमेरिका से लेकर एर्दुएन के तुर्की तक ये आम है। भारत में जिस तरह बीजेपी ने कांग्रेस से बहुत कुछ सीखा है उसी तरह सत्ता में रहकर मीडिया को पुचकार कर तो कभी घुड़की देकर कैसे 'अच्छा बच्चा' बनाए रखा जाए ये भी सीखा है।

मैं इस पोस्ट को भटकने से बचाने के लिए उन मीडिया संस्थानों का नाम नहीं लेना चाहता जिनका पहले अनेक बार ले चुका हूं कि कैसे वो वित्तीय मामलों में भारी गडबड़झाला करके भी सुरक्षित हैं। बताने की ज़रूरत नहीं कि उन सभी को प्रधानसेवक जी के दुर्लभ इंटरव्यू सहजता से मिल जाते हैं और अक्सर आप उन सभी पर सत्ताधारी पार्टी के एजेंडे को पुष्ट करनेवाली बहसें देखते- सुनते भी हैं।
'किल द मैसेंजर' एक बहुत मशहूर कहावत है, उसी से मिलते जुलते नाम वाली किताब SUE THE MESSENGER पढ़िए जिसे सुबीर घोष- परॉन्जॉय गुहा ठाकुरता ने लिखा है कि कैसे कानूनी हथकंडों से बड़े कॉरपोरेट पत्रकारीय रिपोर्ट्स की भ्रूण हत्या कर डालते हैं। किससे छिपा है कि ऊंची पहुंच वाले अपने खिलाफ छपने वाली खबरों और किताबों को आसानी से रोक लेते हैं। फिर ये तो सरकार है, ये कुछ भी रोक सकती है। चुनावों के आसपास उन संस्थानों और खबरों को भी रोक सकती है जो उसकी नीती पर आलोचनात्मक हैं। एजेंसियां तो महज़ मोहरा हैं। कुछ वक्त बाद वो क्लीन चिट भी दे देती हैं लेकिन इस बीच सरकारें वो सब साध लेती हैं जो साधने की इच्छुक होती हैं। दरबारी मीडिया के बुरे दौर में कुछेक आवाज़ें अपनी-अपनी वजहों से बुलंद हैं, इनका खामोश होना सबसे ज़्यादा अगर किसी के लिए नुकसानदेह है तो वो भारत के जन-गण-मन के लिए ही है।
- सभी सवर्ण का यही पुकार मोटा जवानों की बा

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ना सौ सोनार की ना एक लोहार की

एक अच्छी सोच अच्छे समाज को जन्म देतीं हैं
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मुझे अच्छा लगता है मर्द से मुकाबला ना करना और उस से एक दर्जा कमज़ोर रहना -
मुझे अच्छा लगता है जब कहीं बाहर जाते हुए वह मुझ से कहता है "रुको! मैं तुम्हे ले जाता हूँ या मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ "
मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझ से एक कदम आगे चलता है - गैर महफूज़ और खतरनाक रास्ते पर उसके पीछे पीछे उसके छोड़े हुए क़दमों के निशान पर चलते हुए एहसास होता है उसे मेरा ख्याल खुद से ज्यादा है
मुझे अच्छा लगता है जब गहराई से ऊपर चढ़ते और ऊंचाई से ढलान की तरफ जाते हुए वह मुड़ मुड़ कर मुझे चढ़ने और उतरने में मदद देने के लिए बार बार अपना हाथ बढ़ाता है -
मुझे अच्छा लगता है जब किसी सफर पर जाते और वापस आते हुए सामान का सारा बोझ वह अपने दोनों कंधों और सर पर बिना हिचक  किये खुद ही बढ़ कर उठा लेता है - और अक्सर वज़नी चीजों को दूसरी जगह रखते  वक़्त उसका यह कहना कि "तुम छोड़ दो यह मेरा काम है "-
मुझे अच्छा लगता है जब वह मेरी वजह से शर्द मौसम में सवारी गाड़ी का इंतज़ार करने के लिए खुद स्टेशन पे इंतजार  करता है -
मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे ज़रूरत की हर चीज़ घर पर ही मुहैय्या कर देता है ताकि मुझे घर की जिम्मेदारियों के साथ साथ बाहर जाने की दिक़्क़त ना उठानी पड़े और लोगों के नामुनासिब रावैय्यों का सामना ना करना पड़े -
मुझे बहोत अच्छा लगता है जब रात की खनकी में मेरे साथ आसमान पर तारे गिनते हुए वह मुझे ढंड लग जाने के डर से अपना कोट उतार कर मेरे कन्धों पर डाल देता है -
मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे मेरे सारे गम आंसुओं में बहाने के लिए अपना मज़बूत कंधा पेश करता है और हर कदम पर अपने साथ होने का यकीन दिलाता है -
मुझे अच्छा लगता है जब वह खराब  हालात में मुझे अपनी जिम्मेदारी  मान कर सहारा  देने केलिए मेरे आगे ढाल की तरह खड़ा हो जाता है और कहता है " डरो मत मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा" -
मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे गैर नज़रों से महफूज़ रहने के लिए समझाया  करता है और अपना हक जताते हुए कहता है कि "तुम सिर्फ मेरी हो " -
लेकिन अफसोस हम में से अक्सर लड़कियां इन तमाम खुशगवार अहसास को महज मर्द से बराबरी का मुकाबला करने की वजह से खो देती हैं
फिर ۔۔۔۔۔۔۔۔
जब मर्द यह मान लेता है कि औरत उस से कम नहीं तब वह उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना छोड़ देता है - तब ऐसे खूबसूरत लम्हात एक एक करके ज़िन्दगी से कम होते चले जाते हैं , और फिर ज़िन्दगी बे रंग और बेमतलब  हो कर अपनी खुशीया खो देती है
मुक़ाबला आधुनिकता  की इस दौड़ से निकल कर अपनी ज़िंदगी के ऐसे हसीन लम्हो का अहसास कर लीजिए .. .. ..
   ❤   

नोटा का कोई जवाब नहीं ।

हाल ही में एनडीटीवी के प्रोमोटर प्रणय रॉय के ठिकानों पर छापेमारी की खबरें चर्चा में थीं। सीबीआई के उन छापों ने देश को हैरान नहीं किया था क्योंकि जिस तरह एनडीटीवी ने सरकारी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था उससे इस सरकार का देर सबेर विचलित होना तय था। सरकार की उम्मीद के खिलाफ डरा सहमा मीडिया अचानक उचक कर एक साथ खड़ा हो गया।

उसके बाद द वायर की सनसनीखेज़ स्टोरीज़ में से एक ने अमित शाह के कुलदीपक श्री जय शाह को कटघर में ला खड़ा किया। वायर के तेवरों से साफ था कि वो सरकार से दो-दो हाथ करने उतरा है, तो जब एक कारोबारी पर लगे इल्ज़ामों की सफाई देने बीजेपी प्रवक्ता मैदान में आए ये साफ हो गया कि वायर को सज़ा मिलेगी। द वायर के खिलाफ मानहानि के मुकदमों ने वही साबित किया। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान वायर के प्रतिनिधि ने मेरे एक सवाल के जवाब में बताया भी था कि वो लोग उन मुकदमों को पूरी हिम्मत से लड़ रहे हैं।  हालांकि बहुत लोग मानेंगे कि अपने तेवर ढीले ना करनेवाले वायर पर अगले ज़ोरदार हमले की सभी को आशंका है।

इस बीच पिछले करीब डेढ़ साल से क्विंट के वीडियोज़ और खबरों ने सरकार की  नींद हराम कर दी थी। मोदी की आर्थिक नीतियों का जैसा बैंड राघव बहल और संजय पुगलिया जैसे आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ पत्रकारों ने बजाया था उससे ये भ्रम आम लोगों के बीच से छंटने लगा कि सरकार के कथित सुधार राष्ट्रहित में हैं। पूंजीपतियों के गले में हाथ डालकर झूम रहे प्रधानसेवक और छोटे सेवकों को घबराहट हो रही थी.. और फिर आज सुबह खबर आ भी गई कि इनकम टैक्स विभाग ने क्विंट के के संस्थापक संपादक राघव बहल के ठिकानों पर छापे मारे हैं। द न्यूज़ मिनट वेबसाइट के बैंगलोर दफ्तर पर भी छापेमारी की खबर है जिसमें क्विंट की हिस्सेदारी है।

पत्रकारों और पत्रकारिता संस्थानों को लाइन पर लाने के लिए सरकार के ये हथकंडे कोई नए नहीं हैं। दुनिया भर में यही होता है। ट्रंप के अमेरिका से लेकर एर्दुएन के तुर्की तक ये आम है। भारत में जिस तरह बीजेपी ने कांग्रेस से बहुत कुछ सीखा है उसी तरह सत्ता में रहकर मीडिया को पुचकार कर तो कभी घुड़की देकर कैसे 'अच्छा बच्चा' बनाए रखा जाए ये भी सीखा है।

मैं इस पोस्ट को भटकने से बचाने के लिए उन मीडिया संस्थानों का नाम नहीं लेना चाहता जिनका पहले अनेक बार ले चुका हूं कि कैसे वो वित्तीय मामलों में भारी गडबड़झाला करके भी सुरक्षित हैं। बताने की ज़रूरत नहीं कि उन सभी को प्रधानसेवक जी के दुर्लभ इंटरव्यू सहजता से मिल जाते हैं और अक्सर आप उन सभी पर सत्ताधारी पार्टी के एजेंडे को पुष्ट करनेवाली बहसें देखते- सुनते भी हैं।
'किल द मैसेंजर' एक बहुत मशहूर कहावत है, उसी से मिलते जुलते नाम वाली किताब SUE THE MESSENGER पढ़िए जिसे सुबीर घोष- परॉन्जॉय गुहा ठाकुरता ने लिखा है कि कैसे कानूनी हथकंडों से बड़े कॉरपोरेट पत्रकारीय रिपोर्ट्स की भ्रूण हत्या कर डालते हैं। किससे छिपा है कि ऊंची पहुंच वाले अपने खिलाफ छपने वाली खबरों और किताबों को आसानी से रोक लेते हैं। फिर ये तो सरकार है, ये कुछ भी रोक सकती है। चुनावों के आसपास उन संस्थानों और खबरों को भी रोक सकती है जो उसकी नीती पर आलोचनात्मक हैं। एजेंसियां तो महज़ मोहरा हैं। कुछ वक्त बाद वो क्लीन चिट भी दे देती हैं लेकिन इस बीच सरकारें वो सब साध लेती हैं जो साधने की इच्छुक होती हैं। दरबारी मीडिया के बुरे दौर में कुछेक आवाज़ें अपनी-अपनी वजहों से बुलंद हैं, इनका खामोश होना सबसे ज़्यादा अगर किसी के लिए नुकसानदेह है तो वो भारत के जन-गण-मन के लिए ही है।
- सभी सवर्ण का यही पुकार मोटा जवानों की बा

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दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...