मेरा मानना है कि सिर्फ शहरों और स्टेशनों का नाम बदलने से न हो पायेगा...... फलों और सब्जियों का भी नाम बदला जाय तब कहीं जाकर प्रदेश असल तरक्की करेगा
शरीफा है गर 'सीताफल'
तो पपीता 'पिता फल'
और करेला 'तीखाफल'
बेर को बोलो 'झूठाफल'
आम का हो नाम 'सामान्य'
बेल को बोलो फल 'गणमान्य'
अंगूर होगा 'अंगअप्सरा'
भिंडी होगी 'स्त्रीलक्षणा'
अननास 'अन्ननाश'
सेब तो होगा 'सर्वनाश'
तर-बूज का रख्खो देसी नाम
इसे पुकारो 'द्रवित-मदिरापान'
खरबूजे का क्या हो नाम
'पीतवर्ण द्रवित मदिरापान'
ना-रियल 'ना-वास्तविक' हो जायगा
क-टहल 'क-विचरण' कहलाएगा
ककडी होगी 'आम्रपाली'
परवल होगा 'तुच्छ मवाली'
शहतूत की हिन्दी 'सम्राटतूत'
बैगन होगा 'नीलाभूत'
जामुन होगा 'छोटाभूत'
मशरूम तो है ही 'कूकुरमूत'
सौंफ को बोलो 'स्वादिष्ट जीरा'
मौसमी होगा 'खट्टा नीरा'
कटहल तो है 'पेट का पीरा'
औ सन्तरे को अब बोल 'योगीरा'
'कठोरपुष्प' फिर होगी गोभी
खजूर को कह दो 'देशद्रोही'
अच्छा लगे तो सेर जरूर किजिये
आप का तिवारी परिवार
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