मंगलवार, 24 मार्च 2020

हमारी संस्कृति बीनास के कगार पर है इसे यहाँ पहुँचने में बोली बूड का बहुत ही बड़ा हाथ है

*भारत को आखिर बॉलीवुड ने दिया क्या है?* 
1. बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।
2. विवाह किये बिना लड़का- लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
3. विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना
4. चोरी डकैती करने के तरीके।
5. भारतीय संस्कारों का उपहास उड़ाना।
6. लड़कियों को छोटे कपड़े पहने की सीख देना....जिसे फैशन का नाम देना।
7. दारू सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया और लाया जाये।
8. गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।
9. भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना।
10. पूजा- पाठ ,यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।
11. भारतीयों को अंग्रेज बनाना।
12. भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
13. माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना।
14. गाय पालन को मज़ाक बनाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताना और पालना सिखाना।
15. रोटी हरी सब्ज़ी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।
16. पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटीरखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है मगर बालों के अजीबो- गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते हैं।
17. शुद्ध हिन्दी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है और उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात...
18. पुराने फिल्म्स मे कितने मधुर भजन हुआ करते थे, अब उसकी जगह अल्ला/मौला/इलाही जैसे गानो ने ली है, और हम हिंदू समाज भी हिXडो के जैसे उन गानो को लाखो की लाईक्स पकडा देते है, गुनगुनाते है; इससे ज्यादा और क्या विडंबना हो सकती है???

हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है.....अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति सभ्यता दिखाए ..तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नहीं भटकेगी...

ये पोस्ट उन हिन्दू छोकरों के लिए है जो फिल्म देखने के बाद गले में क्रॉस मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर खुद को मॉडर्न समझते हैं हिन्दू नौंजवानों की रगो में धीमा जहर भरा जा रहा है। 
#फिल्म____जेहाद_____
सलीम - जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मों को देखें, तो उसमें आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम / ईसाई / साईं बाबा को महान दिखाया जाता मिलेगा. इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते हैं। 

फिल्म "शोले" में धर्मेन्द्र भगवान् शिव की आड़ लेकर हेमा मालिनी" को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है, जो यह साबित करता है कि - मंदिर में लोग लडकियां छेड़ने जाते हैं. इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि - बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है.कि- उसे और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए.

"दीवार" का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है। और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है. 
"जंजीर" में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है.

फिल्म 'शान" में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते हैं, लेकिन इसी फिल्म में "अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है. 

फिल्म"क्रान्ति" में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है.

अमर-अकबर-अन्थोनी में तीनों बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी स्मगलर है, लेकिन उनके बच्चों अकबर और एन्थॉनी को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई महान इंसान हैं. साईं बाबा का महिमामंडन भी इसी फिल्म के बाद शुरू हुआ था.

 फिल्म "हाथ की सफाई" में चोरी - ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी.

कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा और इसके साथ साथ आपको शेरखान पठान, DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे। 

हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार ज़रा ध्यान से देखना। केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि कादर खान, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मो का भी यही हाल है। 

फिल्म इंडस्ट्री पर दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है. इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन, आदि ही दिखाया जाता है.

"फरहान अख्तर" की फिल्म "भाग मिल्खा भाग" में "हवन करेंगे" का आखिर क्या मतलब था? 

pk में भगवान् का रोंग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के रोंग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनायेंगे ? 

मेरा मानना है कि - यह सब महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के तहत है ,एक चाल है। *दुख तो इस बात का है, के हम हिंदू ये पोस्ट     पढकर करेंगे तो कुछ नही, लेकिन शेअर करने का भी कष्ट नही उठायेंगे.
.* आप का तिवारी परिवार जय हिंद जय भारत 

कोरोना महामारी को हमारे बेद बहुत ही पहले ही बताया था परंतु कोई कहा मनता है

*शिवपुराण, नारदसंहिता व रावण संहिता में पहले से ही लिखा है कोरोना के प्रसार व रक्षा के उपाय-हमारे पंडित और विद्वान से  लिया गया होता  तो आज इतनी
भयावह स्थिति उत्पन्न नहीं होता 

*आधुनिकता के दौर में वैदिक व धार्मिक मान्यताओं की उपेक्षा का दंश झेल रहा है विश्व-सुदामा*
कोरोना वाइरस के वैश्विक महामारी के रूप में व्यापक प्रसार का जिक्र हमारे मनीषियों ने बहुत पहले ही रावण संहिता, नारद संहिता व शिवपुराण में कर रखा है शिव पुराण में स्पष्ट लिखा गया है कि मांसाहार से कोरोना नामक महामारी चीन देश से प्रसारित होकर वैश्विक समस्या बनेगी जिससे सिर्फ भगवान शिव ही अर्थात परमपिता परमात्मा अर्थात प्रकृति ही बचा सकती है किन्तु आधुनिकता के दौर में हम भौतिक संसाधनों में लिप्त होते गये व प्रकृति के साथ छेडछाड करते गये हमने धार्मिक व वैदिक मान्यताओं को खिलवाड़ बना दिया जिसका परिणाम आज हमारा जीवन ही खिलवाड़ बन चुका है ये बाते आज लोगों से अधिकारियों व चिकित्सकों के हर निर्देश का अनुपालन करते हुए अपने अपने घरों में ईश वंदना की अपील करते हुए समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामाजी ने कहा उन्होने कहा कि सनातन धर्म के साथ साथ सभी धर्मों में जीव हत्या व मांसाहार को वर्जित करते हुए स्वच्छता व प्रकृति पूजन को महत्व दिया गया है किन्तु भौतिक सुखों की खोज व विकास के चर्मोत्कर्ष के चलते हम विनाश के मुंहाने पर खडे हैं जहां से हमें सिर्फ हमारे श्रेष्ठ जनों का परामर्श व परमपिता परमात्मा ही बचा सकता है उन्होने कहा कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त पंचतत्व भूमि,गगन,वायु,अग्नि, नीर कहें या उसके सम्लित रूप भगवान के प्रति हमारे समर्पण की सीख वैज्ञानिक कसौटी पर  खरा हमारा सनातन धर्म व वैदिक ग्रन्थ सदैव बताते आये हैं यहां तक कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने भी धर्म की उपेक्षा को वर्जित किया है किन्तु हमने अपनी अज्ञानता व अहंकार में इन मान्यताओं को ढकोसला व पाखंड घोषित कर दिया आज जब चिकित्सा पद्धति में अग्रणी ईटली के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अब हमें भगवान ही बचा सकते हैं ऐसे में हमें अज्ञानता व अहंकार से परे अपने श्रेष्ठ जनों के परामर्श का अनुकरण करते हुए ईश्वर से मानवमात्र के के कल्याणार्थ व विश्व रक्षार्थ प्रार्थना करना चाहिए  एक तरफ उन्होंने जहां आम जनमानस से अधिकारियों व चिकित्सकों के आदेशों के अनुपालन का अपील किया है वहीं सरकार से भी अपील किया है कि धार्मिक स्थलों व अनुष्ठानों पर प्रतिबंध न लगाया जाय अपितु भीड रहित ईश्वर वंदना व प्रार्थना सभा यज्ञ आदि को निर्विघ्न रूप से चलने दिया जाय
आप का तिवारी परिवार 

जय हिंद जय भारत जय सनातन बन्दे मात्र 

रविवार, 15 मार्च 2020

जय श्री राम मित्रों अज्ञान सन्यासी

कसाई के पीछे घिसटती जा रही बकरी ने सामने से आ रहे संन्यासी को देखा तो उसकी उम्मीद बढ़ी.मौत आंखों में लिए वह फरियाद करने लगी— ‘महाराज! मेरे छोटे-छोटे मेमने हैं. आप इस कसाई से मेरी प्राण-रक्षा करें ।

मैं जब तक जियूंगी, अपने बच्चों के हिस्से का दूध आपको पिलाती रहूंगी ।

बकरी की करुण पुकार का संन्यासी पर कोई असर न पड़ा । वह निर्लिप्त भाव से बोला—‘मूर्ख, बकरी क्या तू नहीं जानती कि मैं एक संन्यासी हूं.
जीवन-मृत्यु, हर्ष-शोक, मोह-माया से परे । हर प्राणी को एक न एक दिन
तो मरना ही है । समझ ले कि तेरी मौत इस कसाई के हाथों लिखी है ।
यदि यह पाप करेगा तो ईश्वर इसे भी दंडित करेगा…

‘मेरे बिना मेरे मेमने जीते-जी मर जाएंगे…’ बकरी रोने लगी ।

‘नादान, रोने से अच्छा है कि तू परमात्मा का नाम ले । याद रख, मृत्यु नए जीवन का द्वार है । सांसारिक रिश्ते-नाते प्राणी के मोह का परिणाम हैं, मोह माया से उपजता है । माया विकारों की जननी है । विकार आत्मा को भरमाए रखते हैं…

बकरी निराश हो गई संन्यासी के पीछे आ रहे कुत्ते से रहा न गया, उसने पूछा—‘महाराज, क्या आप मोह-माया से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं ?

बिल्कुल, भरा-पूरा परिवार था मेरा सुंदर पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता, चाचा-ताऊ, बेटा-बेटी, बेशुमार जमीन-जायदाद… मैं एक ही झटके में सब कुछ छोड़कर परमात्मा की शरण में चला आ आया ।

सांसारिक प्रलोभनों से बहुत ऊपर…
जैसे कीचड़ में कमल… संन्यासी डींग मारने लगा । आप चाहें तो बकरी की प्राण रक्षा कर सकते हैं ।  कसाई आपकी बात नहीं टालेगा ।

"मौत तो निश्चित ही है, आज नहीं तो कल, हर प्राणी को मरना है" सन्यासी ने कहा

तभी 
सामने एक काला भुजंग नाग फन फैलाए दिखाई पड़ा । सन्यासी के पसीने छूटने लगे । उसने कुत्ते की ओर मदद के लिए देखा । कुत्ते की हंसी छूट गई ।

और बोला ‘मृत्यु नए जीवन का द्वार है… उसको एक न एक दिन तो आना ही है…कुत्ते ने संन्यासी के वचन दोहरा दिए ।

‘मुझे बचाओ’ अपना ही उपदेश भूलकर सन्यासी गिड़गिड़ाने लगा मगर कुत्ते ने उसकी ओर ध्यान न दिया ।

‘आप अभी यमराज से बातें करें । जीना तो बकरी चाहती है । इससे पहले कि कसाई उसको लेकर दूर निकल जाए, मुझे अपना कर्तव्य पूरा करना है…’

कहते हुए वह छलांग लगाकर नाग के दूसरी ओर पहुंच गया ।  फिर दौड़ते
हुए कसाई के पास पहुंचा और उसपर टूट पड़ा । आकस्मिक हमले से कसाई के औसान बिगड़ गए ।
वह इधर-उधर भागने लगा ।  बकरी की पकड़ ढीली हुई तो वह जंगल में गायब हो गई ।

कसाई से निपटने के बाद कुत्ते ने संन्यासी की ओर देखा । वह अभी भी ‘मौत’ के आगे कांप रहा था ।
कुत्ते का मन हुआ कि संन्यासी को उसके हाल पर छोड़कर आगे बढ़ जाये । लेकिन उसका मन नहीं माना । वह दौड़कर विषधर के पीछे पहुंचा और पूंछ पकड़कर झाड़ियों की ओर उछाल दिया, 

और बोला—‘महाराज, जहां तक मैं समझता हूं, मौत से वही ज्यादा डरते हैं, जो केवल अपने लिए जीते हैं 
धार्मिक प्रवचन उन्हें उनके पाप बोध से कुछ पल के लिए बचा ले जाते हैं… जीने के लिए संघर्ष अपरिहार्य है,
संघर्ष के लिए विवेक, लेकिन मन में यदि करुणा-ममता न हों तो ये दोनों भी आडंबर बन जाते हैं’

मित्रो आजकल बहुत से बाबा और उनके अनुयायी दूसरों के दुखों को कर्म भोग की परिभाषा दे देते हैं लेकिन जब यही दुःख उन्हें प्राप्त होता है तो उपदेश एक ओर होते हैं सिर्फ शिकायतें भरी होती हैं वो व्यक्ति कभी परमार्थ मार्ग पर चल ही नहीं सकता जिसके भीतर दया और करूणा का बोध न हो सके सन्त मार्ग की प्रथम सीढ़ी ही दया और करुणा है ।
जय श्री राम के नारों के साथ अपनी बाडी को बीराम देता हूँ 
आप का तिवारी परिवार 

जय श्री राम मित्रों 14 वृस वनवास के समय प्रभु राम के इस परकार से समय का सदउपयोग किये है

।।जय श्री राम।।
वन में प्रभु श्रीराम ने किए थे ये 7 कार्य
भगवान श्रीराम जहां जहां गए वहां का एक अलग ही इतिहास और परंपरा बन गया। उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे कार्य किए जिनसे समाज, परिवार और जनता को लाभ मिला। आओ जानते हैं ऐसे ही कुछ कार्यों के बारें में।
 

1.आश्रमों को राक्षसी आतंक से मुक्ति दिलाई : प्रभु श्रीराम ने विश्‍वामित्र, अत्रि, अगस्त्य मुनि आदि ऋषियों जैसे कई ऋषियों के आश्रम को असुरों और राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया था। इसके अलावा उन्होंने अपने 14 वर्ष के वनवान में कई राक्षसों और असुरों का वध किया।
 
 
2.दंडकारण्य में आदिवासियों और वनवासियों के बीच राम : ने भगवान राम को 14 वर्ष को वनवास हुए था। उनमें से 12 वर्ष उन्होंने जंगल में रहकर ही काटे। बाकी बचे दो वर्ष उन्होंने सीता माता को ढूंनने और अन्य कार्यों में लगाए। इस दौरान उन्होंने देश के सभी संतों के आश्रमों को बर्बर लोगों के आतंक से बचाया। अत्रि को राक्षसों से मुक्ति दिलाने के बाद प्रभु श्रीराम दंडकारण्य क्षेत्र में चले गए, जहां आदिवासियों की बहुलता थी। यहां के आदिवासियों को बाणासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के बाद प्रभु श्रीराम 10 वर्षों तक आदिवासियों के बीच ही रहे।
 

 
वन में रहकर उन्होंने वनवासी और आदिवासियों को धनुष एवं बाण बनाना सिखाया, तन पर कपड़े पहनना सिखाया, गुफाओं का उपयोग रहने के लिए कैसे करें, ये बताया और धर्म के मार्ग पर चलकर अपने री‍ति-रिवाज कैसे संपन्न करें, यह भी बताया। उन्होंने आदिवासियों के बीच परिवार की धारणा का भी विकास किया और एक-दूसरे का सम्मान करना भी सिखाया। उन्हीं के कारण हमारे देश में आदिवासियों के कबीले नहीं, समुदाय होते हैं। उन्हीं के कारण ही देशभर के आदिवासियों के रीति-रिवाजों में समानता पाई जाती है। भगवान श्रीराम ने ही सर्वप्रथम भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य अपने वनवास के दौरान किया था। एक भारत का निर्माण कर उन्होंने सभी भारतीयों के साथ मिलकर अखंड भारत की स्थापना की थी। भारतीय राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, केरल, कर्नाटक सहित नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड आदि देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में आज भी राम इसीलिए जिंदा हैं।
 

 
3.सुग्रीव को राज्य दिलाया : हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने सुग्रीव की कथा सुनी और उन्होंने सुग्रीव को अपने क्रूर भाई वानर राज बालि के भय से मुक्त कराया। बालि ने अपनी शक्ति के बल पर दुदुंभी, मायावी और रावण को परास्त कर दिया था। बालि ने अपने भाई सुग्रीव की पत्नी को हड़पकर उसको बलपुर्वक अपने राज्य से बाहर निकाल दिया था। हनुमानजी ने सुग्रीव को प्रभु श्रीराम से मिलाया। सुग्रीव ने अपनी पीड़ा बताई और फिर श्रीराम ने बालि को छुपकर तब तीर से मार दिया जबकि बालि और सुग्रीव में मल्ल युद्ध चल रहा था। पौराणिक मान्यताओं अनुसार प्रभु ने त्रेता में राम के रूप में अवतार लेकर बाली को छुपकर तीर मारा था। कृष्णावतार के समय भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी बाली को दी थी।
 
 
4.सैन्य गठन : 12वें वर्ष की समाप्त के दौरान सीता का हरण हो गया तो बाद के 2 वर्ष उन्होंने सीता को ढूंढने, वानर सेना का गठन करने और रावण से युद्ध करने में गुजारे। इस दौरान उन्होंने वनवासी और आदिवासियों के अलावा निषाद, वानर, मतंग और रीछ समाज के लोगों को भी धर्म, कर्म और वेदों की शिक्षा देने के साथ ही एक बहुत बड़ी सेना का गठन किया। हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने वानर सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े।

5.शिवलिंग : महाकाव्‍य 'रामायण' के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। 
 
 
6. सेतु बनवाया : इसके बाद प्रभु श्रीराम ने नल और नील के माध्यम से विश्व का पहला सेतु बनवाया था और वह भी समुद्र के ऊपर। आज उसे रामसेतु कहते हैं ज‍बकि राम ने इस सेतु का नाम नल सेतु रखा था।
 
 
7.हनुमान और जामवंत को वरदान : प्रभु श्रराम ने हनुमान और जामवंतजी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। राम-रावण के युद्ध में जामवन्तजी रामसेना के सेनापति थे। युद्ध की समाप्त‌ि के बाद जब भगवान राम विदा होकर अयोध्या लौटने लगे तो जामवन्तजी ने उनसे कहा कि प्रभु इतना बड़ा युद्ध हुआ मगर मुझे पसीने की एक बूंद तक नहीं गिरी, तो उस समय प्रभु श्रीराम मुस्कुरा दिए और चुप रह गए। श्रीराम समझ गए कि जामवन्तजी के भीतर अहंकार प्रवेश कर गया है। जामवन्त ने कहा, प्रभु युद्ध में सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई अवसर नहीं मिला। मैं युद्ध में भाग नहीं ले सका और युद्ध करने की मेरी इच्छा मेरे मन में ही रह गई। उस समय भगवान ने जामवन्तजी से कहा, तुम्हारी ये इच्छा अवश्य पूर्ण होगी जब मैं अगला अवतार धारण करूंगा।
 
 
तब तक तुम इसी स्‍थान पर रहकर तपस्या करो। अंत में द्वापर युग में श्रीराम ने श्रीकृष्ण के रूप में उनसे युद्ध किया और उनका भयंकर तरीके से पसीने पहने लगा। अंत में जब वे हारने लगे तब उन्होंने मदद के लिए अपने प्रभु श्रीराम को पुकारा। श्रीराम को पुकारने के कारण श्रीकृष्ण को अपने राम रूप में आना पड़ा। यह देखकर जामवंतजी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी और वे उनके चरणों में गिर पड़े।जय श्री राम 
जय श्री राम के नारों के साथ अपनी बाडी को 
बिराम देता हूँ  जय श्री राम 
आप का तिवारी परिवार 

शनिवार, 14 मार्च 2020

मूसमान हमारे देबी देवताओं का इतना बीरोध क्यों करते हैं

रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन💥
सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था
उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर
रहती थी । 
रावन के मर जाने के बाद वह
अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास
गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी । 

राक्षसों का वंश ख़त्म न
हो 
इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव
जी की आराधना की ।
शिव जी ने
अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर
कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर
गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन
राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्म
लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब
हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित
किया जो आज अरब में "मक्का मदीना" में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर
रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो ने
पूरा निभाया आज भी मुस्लिम औरतें
चेहरा ढकी रहती हैं । 
सूर्पनखा के वंसज
आज मुसलमान कहलाते हैं ।
क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान
दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष
महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।⛳
 
जानिए इस्लाम केसे पैदा हुआ..
👉असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है .एक मजहब है..
दिनचर्या है..
👉मजहब का मतलब अपने कबीलों के
गिरोह को बढ़ाना..
👉यह बात सब जानते है कि मोहम्मदी मूलरूप से
अरब वासी है ।
👉अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है.
वहां जंगल
नहीं है, पेड़ नहीं है. इसीलिए वहां मरने के बाद जलाने
के
लिए लकड़ी न होने के कारण ज़मीन में दफ़न कर
दिया जाता था.
👉रेगिस्तान में हरीयाली नहीं होती.. एसे में रेगिस्तान
में
हरा चटक रंग देखकर इंसान चला आता जो की सूचक
का काम करता था..
👉अरब देशो में लोग रेगिस्तान में तेज़ धुप में सफ़र करते थे,
इसीलिए वहां के लोग सिर को ढकने के लिए
टोपी 💂पहनते थे.
जिससे की लोग बीमार न पड़े.
👉अब रेगिस्तान में खेत तो नहीं थे, न फल, तो खाने के
लिए वहा अनाज नहीं होता था. इसीलिए वहा के
लोग
🐑🐃🐄🐐🐖जानवरों को काट कर खाते थे. और अपनी भूख मिटाने के
लिए इसे क़ुर्बानी का नाम दिया गया.
👉रेगिस्तान में पानी की बहुत कमी रहती थी,💧 इसीलिए
लिंग (मुत्रमार्ग) साफ़ करने में पानी बर्बाद न
हो जाये
इसीलिए लोग खतना (अगला हिस्सा काट देना ) कराते
थे.
👉सब लोग एक ही कबिले के खानाबदोश होते थे इसलिए
आपस में भाई बहन ही निकाह कर लेते थे|
👉रेगिस्तान में मिट्टी मिलती नहीं थी मुर्ती बनाने
को इसलिए मुर्ती पुजा नहीं करते थे|
खानाबदोश थे ,
👉 एक जगह से दुसरी जगह
जाना पड़ता था इसलिए कम बर्तन रखते थे और एक
थाली नें पांच लोग खाते थे|

👉कबीले की अधिक से अधिक संख्या बढ़े इसलिए हर एक
को चार बीवी रखने की इज़ाजत दि..
🔥अब समझे इस्लाम कोई धर्म नहीं मात्र एक कबीला है..
और इसके नियम असल में इनकी दिनचर्या है|
नोट : पोस्ट पढ़के इसके बारे में सोचो.
#इस्लाम_की_सच्चाई
        अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा थातो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए

"अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था... (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).
हर महादेव जय परशुराम
जय श्री राम के नारों के साथ अपनी बाडी को बीराम देता हूँ 
आप का तिवारी परिवार 

जय श्री राम क्रम से ही अदमी की पहचान बनती हैं क्रम योगी है हमारे प्रधान मंत्री जी

#अमेरिका_की_हथेली_पर_मोदी_की_ताली

#बिस्मार्क के बारे में कहा जाता था कि वह एक ऐसा राजनैतिक #जगलर था जो पांच गेंदों से खेलता था जिसमें से तीन हवा में रहतीं थीं।" फिर पिछली शताब्दी से लेकर अब तक कोई ऐसा #कूटनीतिज्ञ नहीं देखा गया जो #कूटनीति को इस तरह खेले। 

लेकिन जिस तरह से मोदीजी ने विश्व राजनीति में भारत के हितों को साधा हुआ है उसे देखकर #बिस्मार्क भी अपने होठों को दांतों से चबा रहा होगा। 

👍#इजरायल के प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति व पोप के बाद सिर्फ मोदीजी को रिसीव करने एयरपोर्ट जाते हैं।

👍#अरब जगत में मोदी के लिये लाल कालीन बिछाने की होड़ लगी है। 

👍#सऊदी अरब इजरायल जाने के लिये केवल मोदी के विमान के लिये अपना एयरोस्पेस खोलता है। 

👍#ब्रिटेन की महारानी मोदी से हाथ मिलाने के लिये दस्ताने ना उतारने की अपनी परंपरा तोड़ देती हैं। 

👍#फ्रांस के राष्ट्रपति उन्हें जी7 में विशेष रूप से आमंत्रित करते हैं। 

इतने स्वागत व अभिनंदन के बाद किसी भी मनुष्य की विवेकशक्ति कुंठित हो सकती है लेकिन मोदी इससे अभी तक सफलतापूर्वक बचते रहे हैं क्योंकि उनकी नजरों के सामने सिर्फ एक सच्चाई छाई रहती है और वह है-- #भारत 

शायद इसीलिये इतने स्वागत सत्कार के बाद भी लौटकर 👍#इजरायल को दिये मिसाइलों के ऑर्डर को रद्द कर देते हैं और 👍#येरुशलम को इजरायल की राजधानी का दर्जा देने से इनकार कर देते हैं। 

शायद इसीलिये #ट्रंप से गलबहियां करने के बावजूद #रूस से 'एस 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली' खरीदने का समझौता कर लेते हैं और #अमेरिकी प्रतिबंधों को ठेंगा दिखा देते हैं। 

ऐसा इसलिये कि उन्हें सिर्फ भारत के हित ही दिखाई देते हैं... और यही कारण है कि डोकलाम पर #चीन की बाँहें मरोड़ने और चाबहर बंदरगाह के जरिये चीन के 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल' की महत्वाकांक्षी परियोजना के ताबूत में कील ठोंक देने के बावजूद पिछले वर्ष चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक त्वरित आमंत्रण पर प्रोटोकॉल को दरकिनार कर पीकिंग पहुंच गये थे। उस समय मैंने एक पोस्ट में लिखा था कि यह मेरा अंदाजा है कि यह भेंट सिर्फ पाकिस्तानी मुर्गे को हलाल कर उसे बांटने को लेकर है जो अभी तो सफल नहीं होगी लेकिन जब बलूचिस्तान में अराजकता चरम पर होगी व "सी पैक रूपी सांप का मुंह ग्वादर पोर्ट" बुरी तरह कुचल जायेगा जो अब चीन के गले की नस बन गया है, तब चीन को वही करना होगा जो भारत चाहेगा और अब वह वक्त आ चुका है। 

कोई आश्चर्य नहीं कि सी पैक को लेकर फंसा हुआ व सिक्यांग में तालिबान के प्रवेश से आशंकित चीन  और अफगानिस्तान में फंसा अमेरिका भारत को अफगानिस्तान से जोड़ने के लिये पाक कब्जे वाले कश्मीर को भारत को सौंपने पर राजी हो जायें ताकि भारत की सीमायें सीधे अफगानिस्तान से जुड़ सकें और अगर ऐसा हो गया तो--

-भारत संपूर्ण एशिया का भाग्यविधाता बन जायेगा। 

चीन इस बात को जानकर भी भारत को समर्थन देने पर मजबूर है। चीन को 'सांप छछूंदर की गति' तक पहुंचा देने वाली कूटनीति का ऐसा अनोखा उदाहरण ढूंढना मुश्किल है। 

-यही विवशता अमेरिका की है जिसे एशिया की शक्ति के रूप में किसी एक को चुनना होगा और जाहिर है वह भारत ही होगा। 

इसीलिये अमेरिका की इसी विवशता का आनंद उठाते हुए मोदी जी ने बडे ठंडे अंदाज में  हिंदी में अमेरिका को बोल दिया कि 'किसी' को कश्मीर के मुद्दे पर 'कष्ट' उठाने की जरूरत नहीं और 'टेलीट्रांसलेटर' से सबकुछ समझ रहे ट्रंप ने खिसियानी हंसी हंसते हुये मोदी को कहा कि मोदी अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हैं, पर बोल नहीं रहे।

संदेश स्पष्ट है, "यह पूरा क्षेत्र भारत ही था और अभी भी भारत का ही है, इस भूक्षेत्र में 'खेलना' है तो नियम भारत तय करेगा।"

#ईरान,#रूस, #इजरायल, #अमेरिका #चीन ये पांच गेंदें हैं... जिससे #मोदी इस समय खेल रहे हैं।

और #पाकिस्तान.....?
#कौन_पाकिस्तान....???? 
#सांड़ों के खेल में #पिल्लों का क्या काम...?
जय श्री राम के नारों अपनी  बाडी को बीराम देता हूँ 
जय श्री राम 
आप का तिवारी परिवार 

रविवार, 8 मार्च 2020

तब भी दिल्ली ही थी अब भी दिल्ली ही है सोचना आप को है कब तक आप भागोगे लड़ना तो पडेगा ही

#युद्ध

आपने महाभारत पढ़ी हैं क्या !
....पढ़ी नही तो टीवी पर देखी तो होगी ही!
.........BR चौपड़ा की बनाई महाभारत देखी हैं मैने उसके बाद नही दूसरी नही देखी और इच्छा भी नही रही

👉 पांडवो ने हर सम्भव कोशिश की थी कौरवो से युद्ध नही करने की। 

👉.......बचपन में दुर्योधन ने भीम को जहर वाली खीर खिलाई पता होते हुए पांडव चुप रहे 

👉.......फिर लाक्षाग्रह में उन्हें जिंदा जलाने का षड्यंत्र हुआ पांडव बच गए पर चुप रहे क्योंकि उन्हें शांति से जीना था न !

👉......युधिष्टर के हिस्से का राज अयोग्य दुर्योधन को देने के लिये देश का विभाजन कर दिया गया लेकिन पांडव चुप रहे

👉......भरी सभा में द्रोपदी का वस्त्र हरण करके उसे नग्न करने की कोशिश हुई उसे वेश्या कहा गया पर पांडव चुप रहे.....
..........वे युद्ध नही चाहते थे क्योंकि उन्हें शांति से जीना था न!

👉.....पांडवो ने 13 वर्ष जंगलों में बिताए अज्ञातवास झेला फिर अपना हक मांगा पर दुर्योधन ने नीचता पूर्वक मना किया। 
............पांडवो ने केवल पांच गांव मांगे !! दुर्योधन वह भी नही दे सका उसने साफ कहा

👉👉 सुई की नोक जितनी भूमि नही दूंगा!!
................याद रखिये #सुई की नोक जितनी!

आखिर न चाहते हुए सेनाएं आमने सामने हुई !
👉 ........अर्जुन ने फिर भी युद्ध के लिये मना कर दिया था कि मुझे युद्ध नही करना हैं

तब!
तब श्रीकृष्ण ने कहा

👉 हे! अर्जुन युद्ध तो तुम्हे करना ही पड़ेगा !
युद्ध तुम नही चाहते #दुर्योधन_चाहता_है! 
...................कब तक शांति की रट लगाए बैठे रहोगे !

👉 ...युद्ध तुम्हारा विकल्प नही,  दुर्योधन का हैं!

👉..........दुर्योधन को लड़ना हैं वह हर हाल में तुमसे लड़ता रहेगा,

👉....... तुम सारे अपमान भूलकर भी शांति चाहते हो पर वह नही चाहता की तुम शांति से रहो!!

तब कृष्ण थे तो अर्जुन समझ गया

आज!
आज कृष्ण नही हैं उनके वचन याद कीजिये!

ग्रँथ लाल कपड़े में लपेटकर अगरबत्ती करने के लिये नही होते
उन्हें पढिये रास्ते स्पष्ट नजर आएंगे....!
जय श्री कृष्णा !
हर हर महादेव जय परशुराम
आप का तिवारी परिवार 

रविवार, 1 मार्च 2020

जो अती बिस्वास से लड़ते हैं अनकी कभी हार नहीं होती

एक एसडीएम की कहानी --
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आज स्कूल में शहर की महिला SDM आने वाली थी क्लास की सारी लड़कियां ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी ...सबकी बातों में सिर्फ एक ही बात थी SDM .. और हो भी क्यों न आखिर वो भी एक लड़की थी ....पर एक ओर जब सब लड़कियां व्यस्त थी SDM की चर्चाओं में ....एक लड़की सीट की लास्ट बेंच पर बैठी पेन और उसके कैप से खेल रही थी ...उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कौन आ रहा है और क्यों आ रहा है ? .वो अपने में मस्त थी ....वो लड़की थी आरुषि ...!!! आरुषि पास के ही एक गांव के एक किसान की एकलौती बेटी थी .....स्कूल और उसके घर का फासला लगभग 10 किलोमीटर का था जिसे वो साइकिल से तय करती थी .....स्कूल में बाकि की सहेलियां उससे इसलिए ज्यादा नहीं जुड़कर रहती थी क्योंकि वो उनकी तरह रईस नहीं थी लेकिन इसमें उसका क्या दोष था ...?...... खैर उसकी जिंदगी सेट कर दी गयी थी इंटरमीडिएट के बाद उसे आगे नहीं पढ़ा सकते थे ....क्योंकि उसके पापा पैसा सिर्फ एक जगह लगा सकते थे या शादी में और या तो आगे की पढाई में ....उसके परिवार में कोई भी मैट्रिक से ज्यादा पढ़ा नहीं था .... बस यही रोड मैप उसके आँखों के सामने हमेशा घूमता रहता कि ये क्लास उसकी अंतिम क्लास है और इसके बाद उसकी शादी कर दी जाएगी .....इसीलिए वो आगे सपने ही नहीं देखती थी और इसीलिए उस दिन एसडीएम के आने का उसपर कोई फर्क नहीं पड़ा ......ठीक 12 बजे SDM उनके स्कूल में आयी .... यही कोई 24 -25 की साल की लड़की ..नीली बत्ती की अम्बेसडर गाड़ी और साथ में 4 पुलिसवाले .....2 घंटे के कार्यक्रम के बाद एसडीएम चली गयी ....लेकिन आरुषि के दिल में बहुत बड़ी उम्मीद छोड़कर गयी ...उसे अपनी जिंदगी से अब प्यार हो रहा था .....जैसे उसके सपने अब आज़ाद होना चाहते हो ...!! 
उस रात आरुषि सो नहीं पायी ....स्कूल में भी उसी उलझन में लगी रही ....क्या करूँ ? .... वो अब उड़ना चाहती थी फिर अचानक पापा की गरीबी उसके सपनो और मंजिलो के बीच में आकर खड़ी हो जाती ......वो घर वापस गयी और रात खाने के वक़्त सब माँ और पापा को बता डाला ......पापा ने उसे गले से लगा लिया ....उनके पास छोटी सी जमीन का एक टुकड़ा था ...कीमत यही 50000 रुपये की होगी .....आरुषि की शादी के लिए उसे डाल रखा था .....पापा ने कहा की मैं सिर्फ एक ही चीज पूरी कर सकता हूँ .. .. तेरी शादी के लिए हो या तेरे सपने ......आरुषि अपने सपनों पर दांव खेलने को तैयार हो गयी ....... इंटरमीडिएट के बाद उसके बीए में दाखिला लिया ...क्योंकि ग्रेजुएशन में इसकी फीस सबसे सस्ती थी .... पैसे का इंतेजाम पापा ने किसी से मांग कर कर दिया .... पर ये उसकी मंजिल नहीं थी उसकी मंजिल तो कही और थी ....उसने तैयारी शुरू की .....सबसे बड़ी समस्या आती किताबों की .... तो उसके लिए नुक्कड़ की एक पुरानी दुकान का सहारा लिया ..जहाँ पुरानी किताबे बेचीं या खरीदी जाती थी ..ये पुरानी किताबें उसे आधी कीमत में मिल जाती थी ...वो एक किताब खरीदकर लाती और पढ़ने के बाद उसे बेचकर दूसरी किताब ....."" कहते हैं न कि जब परिंदों के हौसलों में शिद्दत होती है तो आसमान भी अपना कद झुकाने लगता है "" ....आरुषि की लगन को देखकर उस दुकान वाले अंकल ने उसे किताबे फ्री में देनी शुरू की और कुछ किताबें तो खुद नयी खरीदकर दे देते और कहते कि बिटिया जब बन जाना तो सूद समेत वापस कर देना "" कुछ भी हो आरुषि इस यकीन को नहीं तोडना चाहती थी ..... ग्रेजुएशन के 2 साल पूरे हो गए .....और उसकी तैयारी लगातार चलती रही ..... सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसके माँ की तबियत ख़राब हो गयी ....इलाज के लिए पैसे की जरुरत थी लेकिन पहले से की घर क़र्ज़ में डूब चूका था .....अंत में पापा ने जमीन गिरवी रख दी .... और इसी बीच उसने ग्रेजुएशन के तीसरे वर्ष में दाखिला लिया .... समस्याएं दामन नहीं छोड़ रही थी .... आरुषि कब तक अपने हौसलो को मजबूत बनाने की कोशिस करती आख़िरकार एक दिन मां से लिपटकर वो बहुत रोई ..और एक ही बात पूछी """ मां हमारे कभी अच्छे दिन नहीं आएंगे ? .""" . .... मां ने उसे साहस दिया ..और फिर से उसने कोशिस की ..!! ..कहते हैं न कि योद्धा कभी पराजित नहीं होते ...या तो विजयी होते हैं और या तो वीरगति को प्राप्त होते हैं ........!! ....23 जून हाँ ये वही दिन था जब आरुषि ने प्रारंभिक परीक्षा पास की थी ..अब बारी मुख्य परीक्षा की थी .और आरुषि के हौसले अब सातवें आसमान को छू रहे थे ...... तीन वर्ष की लगातार कठिन परिश्रम का फल था की आरुषि ने मुख्य परीक्षा भी पास कर ली ........अब वो अपने सपने से सिर्फ एक कदम दूर खड़ी थी ...... पीछे मुड़कर देखती तो उसे सिर्फ तीन लोग ही नजर आते ..माँ , पापा और दुकान वाले अंकल ......आख़िरकार इंटरव्यू हुआ .....और अंतिम परिणाम में आरुषि ने सफलता हासिल की ....आरुषि को जैसे यकीन नहीं हो रहा था की हाँ ये वही आरुषि है ..... माँ , पापा तो अपने आंसुओं के सैलाब को रोक नहीं पा रहे थे .... आरुषि अपने घर से तेजी से निकल गयी ... उन्ही आंसुओं के साथ आखिर किसी और को भी तो उसे धन्यवाद देना था ....सीधे जाकर दुकान वाले अंकल के पास रुकी .....अंकल ने उसे गले से लगा लिया और खुद भी छलक गए !!
असल में ये जीत सिर्फ आरुषि की जीत नहीं थी .इस जीत में शामिल थी माँ की ममता ..पिता के हौसले और दुकान वाले अंकल का यकीन ..!!

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आप का तिवारी परिवार 

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...