सोमवार, 17 दिसंबर 2018

मित्रता करनी हो तो। सुदामा और श्रीकृष्ण की तरह करना चाहिए

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              सुदामा गरीब क्यों  थे। 

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 *सुदामाजी को गरीबी क्यों मिली?* *आज तक आपको ये जानकारी नहीं होगी कि सुदामा जी गरीब थे तो क्यों*
*सभी से निवेदन है*
*यह कथा अवश्य पढ़ें* 
*सुदामा को गरीबी क्यों मिली:::*
अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे।जितना धन उनके पास था किसी के पास नहीं था ।
लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे ।
*आखिर क्यों ::::::::*
एक ब्राह्मणी थी जो बहुत निर्धन थी। भिक्षा माँग कर जीवन-यापन करती थी।
एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नहीं मिली।
वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी।
छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चना मिले । कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी ।
यह सोंचकर ब्राह्मणी ने चनों को कपडे़ में बाँधकर रख दियाऔर वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी ।
देखिये समय का खेल:::
*कहते हैं:::*
*पुरुष बली नहीं होत है,*
*समय  होत   बलवान ।*
ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये।
इधर उधर बहुत ढूँढा, चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी । चोरों ने समझा इसमें सोने के सिक्के हैं । इतने मे ब्राह्मणी जाग गयी और शोर मचाने लगी ।
गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे़। चोर वह पुटकी लेकर भागे।
पकडे़ जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये।
(संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था
जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे)
गुरुमाता को लगा कि कोई आश्रम के अन्दर आया है। गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं  तो चोर समझ गये कोई आ रहा है, चोर डर गये और आश्रम से भागे ! भागते समय चोरों से वह पुटकी वहीं छूट गयी।और सारे चोर भाग गये।
इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना ! कि उसकी चने की पुटकी  चोर उठा ले गये ।
तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया कि " मुझ दीनहीन असहाय के जो भी चने  खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा " ।
उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू़ लगाने लगीं तो झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पुटकी मिली । गुरु माता ने पुटकी खोल के देखी तो उसमे चने थे।
सुदामा जी और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी़ लाने जा रहे थे। (रोज की तरह )
गुरु माता ने वह चने की पुटकी सुदामा जी को दे दी।
और कहा बेटा ! जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना ।
सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। ज्यों ही  चने की पुटकी सुदामा जी ने हाथ में लिया त्यों ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया ।
सुदामा जी ने सोचा ! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनों लोग  बराबर बाँट के खाना।
लेकिन ये चने अगर मैंने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी शृष्टी दरिद्र हो जायेगी।
नहीं-नहीं मैं ऐसा नही करुँगा। मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा ।
मैं ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नहीं खाने दूँगा।
और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए।
दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। चने खाकर।
लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया।
ऐसे होते हैं मित्र 
मित्रों ! आपसे निवेदन है कि अगर
मित्रता करें तो सुदामा जी जैसी करें और कभी भी अपने मित्रों को
धोखा ना दें ।
 *जय श्री राधे कृष्णा जी* 
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आप का तिवारी परिवार

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

किसी को मरके आजादी मीलती हैं. औरक किसी को आजादी के.लिए मरना पडता हैं

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एक गांव में एक आदमी अपने तोते के साथ रहता था,एक बार जब वह आदमी किसी काम से दूसरे गांवजा रहा था,तो उसके तोते ने उससे कहा – मालिक, जहाँ आप जा रहे हैंवहाँ मेरा गुरु-तोता रहता है. उसके लिए मेरा एक संदेश ले जाएंगे?क्यों नहीं जरूर !
तोते ने कहा मेरा संदेश है-: आजाद हवाओं में सांस लेने वालों के नाम एक बंदी तोते का सलाम ..वह आदमी दूसरे गांव पहुँचा और वहाँ उस गुरु-तोते को अपने प्रिय तोते का संदेश बताया, संदेश सुनकर गुरु- तोता तड़पा, फड़फड़ाया और मर गया ..जब वह आदमी अपना काम समाप्त कर वापस घर आया,तो उस तोते ने पूछा कि क्या उसका संदेश गुरु-तोते तक पहुँच गया था,आदमी ने तोते को पूरी कहानी बताई कि कैसे उसका संदेश सुनकर उसका गुरु तोता तत्काल मर गया था ।
यह बात सुनकर वह तोता भी तड़पा,फड़फड़ाया और मर गया |उस आदमी ने बुझे मन से तोते को पिंजरे से बाहर निकाला और उसका दाह-संस्कार करने के लिए ले जाने लगा,जैसे ही उस आदमी का ध्यान थोड़ा भंग हुआ,वह तोता तुरंत उड़ गया और जाते जाते उसने अपने मालिक को बताया –"मेरे गुरु-तोते ने मुझे संदेश भेजा था कि अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो" . . . . . . . .बस आज का यही सन्देश कि अगर वास्तव मेंआज़ादी की हवा में साँसलेना चाहते हो तो उसके लिए निर्भय होकर मरना सीख लो . . .

जय जय श्री  राम

आप का तिवारी परिवार ,,,,,,,

शनिवार, 8 दिसंबर 2018

दोहरा चरित्र जादा दिन. तक नही चलता

नवाज शरीफ के बाद इमरान खान पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वीकार किया की भारत में हुआ 26/11 आतंकवादी हमला पाकिस्तान के आतंकियों ने अंजाम दिया था,

विडंबना देखिए एक ओर पाकिस्तान के दो प्रधानमंत्री यह स्वीकार कर चुके हैं कि 26/11 आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ था, जबकि भारत की सबसे पुरानी राजनितिक पार्टी कांग्रेस 26/11 आतंकी हमले के दोषी पाकिस्तान को बचाने और हमले का दोष हिंदुओं और RSS के सर मढ़ने की योजना बना बैठी थी और पूरा प्रयास भी किया था,

साथ ही साथ हमारे देश में जिस बॉलीवुड को देश के युवा अपने सिर पर बिठाकर रखते हैं उसी बॉलीवुड के बड़े व्यक्ति महेश भट्ट का बेटा राहुल भट्ट आतंकवादी दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली को 26/11 आतंकी हमले की रेकी करने में सहायता कर रहा था,
और 26/11 के पश्चात उसका बाप महेश भट्ट 26/11 के लिए हिंदुओं और RSS को दोषी बताता फिर रहा था,
आज वही महेश भट्ट कह रहा है कि मोदी के नेतृत्व वाला भारत मुस्लिमों के लिए एक बुरे स्वप्न सरीखा है,

क्या महेश भट्ट यह कहना चाहते हैं कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत के अंदर जिस प्रकार इस्लामिक आतंकवाद की घटनाओं पर रोक लगी है और निर्दोषों की जानें बच गयीं है, क्या वो महेश भट्ट के अनुसार मुस्लिमों के लिए एक बुरे स्वप्न वाली स्थिति है ?

आज हमारे देश के नागरिकों को विचार करने की आवश्यकता है कि कहीं उन्होंने गलत व्यक्तियों को तो अपना आदर्श नहीं मान लिया है, और कहीं वे इस्लामिक आतंकियों का बचाव करने वाली विचारधारा की राजनीतिक पार्टियों के जाल में तो नही फंसे हुए हैं ?
आज कांग्रेस को जबाब देना चाहिए
और मुझे तो सक हैं कि कहीं कांग्रेस ही. तो नहीं
इस कि सूत्र धार तो नहीं हैं इस की भी सीबीआई
जाचं होनी चाहिए
आप सभी निबेदन कि इस खबर को इतना सेर करो कि
महा महीम तक और परधान मंत्री तक पहुंच जाये

धन्यवाद
आप। का तिवारी परिवार

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...