आखिर रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों ।। रविवार के दिन की छुट्टी का पूरा इतिहास जाने।। history of holiday on sunday.
छुट्टी , एक ऐसा शब्द है जिसका नाम सुनते ही सभी के चेहरे पर अनायास ही एक ख़ुशी की झलक दिखाई पड़ती है | ख़ुशी भी क्यों न हो ? आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में छुट्टी किसे नहीं प्यारी है | अपने भारत देश में किसी न किसी कारण से छुट्टी मिलती रहती है, लेकिन एक छुट्टी ऐसी है जो बिना किसी कारण मिलती है वह है रविवार की छुट्टी | जी हाँ आप ने सही समझा रविवार की छुट्टी का इंतजार सबको रहता है, क्योंकि इस दिन सभी कामो को करने की सूची पहले ही बना ली जाती है | लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है ? यह रविवार की छुट्टी आई कहाँ से ? नहीं सोचा आपने ? तो कोई बात नहीं मित्रों आज हम आपको रविवार की छुट्टी का इतिहास बताने वाले है कि क्यों रविवार को छुट्टी मिलती है, तो आईये जानते है रविवार की छुट्टी का इतिहास Sunday Holiday History in Hindi…
हिन्दू पंचांग के अनुसार-
हिन्दू पंचांग के अनुसार-
हिन्दू कैलेंडर ( हिन्दू पंचांग ) के अनुसार सप्ताह की शुरुआत रविवार से होती है | यह सूर्य देवता का दिन होता है, हिन्दू रीति-रिवाजो के अनुसार सूर्य देव को सभी ग्रहों का स्वामी माना जाता है इस दिन सभी सूर्य देवता के साथ सभी देवी- देवतावों की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है | सप्ताह के पहले दिन ऐसा करने से पूरे हफ्ते मन शांत रहता है और कोई बाधा नहीं उत्पन्न होती है सभी कार्य सफल होते है | ये परम्पराएँ निभाने में किसी व्यक्ति को कोई समस्या ना हो इसलिए पुरातन काल से ही रविवार को छुट्टी मनाई जाती है |
ईसाई धर्म के अनुसार-
ईसाई धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान ईशू को सूली पर लटकाएं जाने के तीसरे दिन वो पुनर्जीवित हो गए थे और उस दिन रविवार था। हालाँकि ईसाई धर्म में रविवार को ईस्टर कहा जाता है। भगवान ईशु के पुनर्जीवित होने के इस दिन को ईसाई, ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते है। इस दिन को ईसाई समुदाय समारोह की तरह मनाने लगा और धीरे-धीरे इस दिन ने एक स्थाई छुट्टी का रूप ले लिए जो कि हर हफ्ते दी जाने लगी।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार -
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रविवार को हफ्ते का अंतिम दिन माना जाता है | अंग्रेजी मान्यताओं के अनुसार ईश्वर ने धरती के सृजन का कार्य छः दिनों में किया था | छः दिनों के बाद सातवें दिन ईश्वर ने विश्राम किया था | इसी कारण से रविवार को सप्ताह का अंतिम दिन मानकर इस दिन सभी को आराम करने की छुट्टी दी जाती है | इसलिए इसे अंग्रेजी देशो में वीकेंड का नाम दिया गया है |
ऐतिहासिक कारण -
इतिहास कहता है कि 1843 ई. से रविवार की छुट्टी की शुरूआत हुई। दरअसल उस वक्त लोगों मानना था कि हिन्दू धर्म में सूर्य को ही प्रतक्ष्य देवता माना गया है और रविवार को सूर्य का दिन यानि रवि का दिन माना जाता है। इसलिये इस दिन छुट्टी देने की वजह थी कि लोग नित्यकर्म के साथ पूजा पाठ कर सके और तभी से रविवार की छुट्टी देने की शुरूआत हुई।भारत पर अंग्रेजो का शासन था और उनके जुल्म लगातार बढ़ रहे थे | उस समय सबसे ज्यादा दयनीय स्थित मजदूरों की थी जिनसे लगातार सातों दिन काम करवाया जाता था और खाने के लिए भी दोपहर में छुट्टी नहीं मिलती थी |1857 में जब मजदूरों के नेता श्री मेघाजी लोखंडे ने मजदूरों के हक़ के लिए अपनी आवाज बुलंद की | इन्होने सप्ताह में एक दिन छुट्टी का प्रस्ताव ब्रिटिश शासन के सामने रखा जिनमें पांच मांगे शामिल थी | रविवार के दिन अवकाश हो, किसी मजदूर का काम करते समय दुर्घटना होने पर वेतन और छुट्टी दी जाए, काम करने के लिए घंटे निश्चित हो, भोजन के लिए छुट्टी दी जाए और काम करते समय किसी मजदूर की मृत्यु होने पर उसके परिवार को पेंशन दी जाए | लेकिन अंग्रेजी हुकूमत की सरकार ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार दिया | उसके बाद श्री मेघाजी लोखंडे ने आन्दोलन शुरू किया जो 8 वर्षो तक चला | इस आन्दोलन के कारण 10 जून 1890 में अंग्रेजी हुकूमत को रविवार के दिन सबके के लिए अवकाश घोषित करना पड़ा | इस प्रयास को सफल बनाने वाले श्री मेघाजी लोखंडे के सम्मान में भारत सरकार ने 2005 में उनके नाम से डाक टिकेट भी जारी किया गया था |अन्तराष्ट्रीय मानवीकरण संस्था (International Organization for Standardization ISO ) के अनुसार रविवार का दिन सप्ताह का आखिरी दिन होता है इस बात को 1986 में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर रविवार के अवकाश को लागू किया गया |
अंग्रेजो के काल में करना पड़ा रविवार की छुट्टी के लिए संघर्ष-
हम सभी जानते है कि अंग्रेजो ने हमारे देश पर लगभग 200 सालों तक राज किया था, ऐसे में कानून और नियम सब ब्रिटिश गवर्नमेंट के हाथ में हुआ करते थे। उस समय हफ्ते के पूरे दिन काम करना पड़ता था। ऐसे में एक महापुरुष की वजह से हमें सन्डे की छुट्टी मिलनी शुरू हुई वे कोई और नहीं ‘नारायण मेघजी लोखंडे’ थे। लोखंडे साहब जोतीराव फुलेजी सत्यसोधक आन्दोलन के कार्यकर्त्ता थे और कामगार नेता भी थे। उन्होंने रविवार की छुट्टी के लिए अंग्रेजों के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा लेकिन वो नहीं माने। तब नारायण लोखंडे को आन्दोलन करना पड़ा ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ता गया और हार मानकर अंग्रेजों को 8 साल बाद 1889 में रविवार की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा।साल 1890 में 10 जून वो दिन था, जब रविवार को साप्ताहिक अवकाश के रूप में चुना गया.
1. ब्रिटिश शासन के दौरान मिल मजदूरों को हफ्ते में सातों दिन काम करना पड़ता था.
2. यूनियन नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने पहले साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव किया, जिसे नामंजूर कर दिया गया.
3. अंग्रेजी हुकूमत से 7 साल की सघन लड़ाई के बाद अंग्रेज रविवार को सभी के लिए साप्ताहिक अवकाश बनाने पर राजी हुए.
4. इससे पहले सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी मिलती थी.
5. दुनिया में इस दिन छुट्टी की शुरुआत इसलिए हुई, क्योंकि ये ईसाइयों के लिए गिरिजाघर जाकर प्रार्थना करने का दिन होता है.
तो अब आप समझ ही गए होंगे की सन्डे की छुट्टी क्यों दी जाती है। वैसे वजह जो भी हो लेकिन सन्डे को हैप्पी डे भी बोला जाए तो कम नहीं होगा क्योंकि हफ्ते में एक ही छुट्टी का दिन होता है जिसमें सब लोग एन्जॉय करते है।
तो आशा करता हु की संडे यानी की रविवार के दिन ही छुट्टी होने का कारण मैं आपको पूरी तरह बता पाया। अगर आपको भी कोई अन्य कारण पता है तो उसे हमारे साथ जरूर शेयर करे। और आपको हमारी ये जानकारी कैसी लगी ये हमें कमेंट करके जरूर बताये।
अगर आपको ये जानकारी अच्छी हो तो इस पोस्ट \ ब्लॉग को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे ताकि उन्हें भी संडे के बारे में ये रोचक तथ्य पता चले। .. धन्यवाद। ..
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