शनिवार, 23 नवंबर 2019

मृत्यु ही एक सत्य है

Image result for death

विचार करों 
#मृत्यु से भय #क्यों – राजा #परीक्षित की कथा
राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक ( सर्प ) के काटने से मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया, 

तब भी राजा परीक्षित का शोक और मृत्यु का भय दूर नहीं हुआ। अपने मरने की घड़ी निकट आती देखकर राजा का मन क्षुब्ध हो रहा था। 
तब शुकदेव जी महाराज ने परीक्षित को एक कथा सुनानी आरंभ की।

राजन ! बहुत समय पहले की बात है, एक राजा किसी जंगल में शिकार खेलने गया। 

संयोगवश वह रास्ता भूलकर बड़े घने जंगल में जा पहुँचा। उसे रास्ता ढूंढते-ढूंढते रात्रि पड़ गई और भारी वर्षा पड़ने लगी।

 जंगल में सिंह व्याघ्र आदि बोलने लगे। वह राजा बहुत डर गया और किसी प्रकार उस भयानक जंगल में रात्रि बिताने के लिए विश्राम का स्थान ढूंढने लगा।

रात के समय में अंधेरा होने की वजह से उसे एक दीपक दिखाई दिया। वहाँ पहुँचकर उसने एक गंदे बहेलिये की झोंपड़ी देखी ।

 वह बहेलिया ज्यादा चल-फिर नहीं सकता था, इसलिए झोंपड़ी में ही एक ओर उसने मल-मूत्र त्यागने का स्थान बना रखा था। 

अपने खाने के लिए जानवरों का मांस उसने झोंपड़ी की छत पर लटका रखा था। 

बड़ी गंदी, छोटी, अंधेरी और दुर्गंधयुक्त वह झोंपड़ी थी।

Image result for death

उस झोंपड़ी को देखकर पहले तो राजा ठिठका, लेकिन पीछे उसने सिर छिपाने का कोई और आश्रय न देखकर उस बहेलिये से अपनी झोंपड़ी में रात भर ठहर जाने देने के लिए प्रार्थना की।

बहेलिये ने कहा कि आश्रय के लोभी राहगीर कभी-कभी यहाँ आ भटकते हैं। 
मैं उन्हें ठहरा तो लेता हूँ, लेकिन दूसरे दिन जाते समय वे बहुत झंझट करते हैं। 

इस झोंपड़ी की गंध उन्हें ऐसी भा जाती है कि फिर वे उसे छोड़ना ही नहीं चाहते और इसी में ही रहने की कोशिश करते हैं एवं अपना कब्जा जमाते हैं। 
ऐसे झंझट में मैं कई बार पड़ चुका हूँ।। इसलिए मैं अब किसी को भी यहां नहीं ठहरने देता। मैं आपको भी इसमें नहीं ठहरने दूंगा।

राजा ने प्रतिज्ञा की कि वह सुबह होते ही इस झोंपड़ी को अवश्य खाली कर देगा।
 उसका काम तो बहुत बड़ा है, यहाँ तो वह संयोगवश भटकते हुए आया है, सिर्फ एक रात्रि ही काटनी है।
बहेलिये ने राजा को ठहरने की अनुमति दे दी, पर सुबह होते ही बिना कोई झंझट किए झोंपड़ी खाली कर देने की शर्त को फिर दोहरा दिया।
राजा रात भर एक कोने में पड़ा सोता रहा। सोने में झोंपड़ी की दुर्गंध उसके मस्तिष्क में ऐसी बस गई कि सुबह उठा तो वही सब परमप्रिय लगने लगा। 
अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को भूलकर वहीं निवास करने की बात सोचने लगा।
वह बहेलिये से और ठहरने की प्रार्थना करने लगा। इस पर बहेलिया भड़क गया और राजा को भला-बुरा कहने लगा।
 राजा को अब वह जगह छोड़ना झंझट लगने लगा और दोनों के बीच उस स्थान को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
कथा सुनाकर शुकदेव जी महाराज ने परीक्षित से पूछा," परीक्षित ! बताओ, उस राजा का उस स्थान पर सदा के लिए रहने के लिए झंझट करना उचित था ? 
परीक्षित ने उत्तर दिया," भगवन् ! वह कौन राजा था, उसका नाम तो बताइये ? 
वह तो बड़ा भारी मूर्ख जान पड़ता है, जो ऐसी गंदी झोंपड़ी में, अपनी प्रतिज्ञा तोड़कर एवं अपना वास्तविक उद्देश्य भूलकर, नियत अवधि से भी अधिक रहना चाहता है। 
उसकी मूर्खता पर तो मुझे आश्चर्य होता है। "
श्री शुकदेव जी महाराज ने कहा," हे राजा परीक्षित ! वह बड़े भारी मूर्ख तो स्वयं आप ही हैं।
 इस मल-मूल की गठरी देह ( शरीर ) में जितने समय आपकी आत्मा को रहना आवश्यक था, 
वह अवधि तो कल समाप्त हो रही है। अब आपको उस लोक जाना है, जहाँ से आप आएं हैं।

 फिर भी आप झंझट फैला रहे हैं और मरना नहीं चाहते। क्या यह आपकी मूर्खता नहीं है ?

राजा परीक्षित का ज्ञान जाग पड़ा और वे बंधन मुक्ति के लिए सहर्ष तैयार हो गए।
जब एक जीव अपनी माँ की कोख से जन्म लेता है तो अपनी माँ की कोख के अन्दर भगवान से प्रार्थना करता है

 कि हे भगवन् ! मुझे यहाँ ( इस कोख ) से मुक्त कीजिए, मैं आपका भजन-सुमिरन करूँगा। और जब वह जन्म लेकर इस संसार में आता है तो ( उस राजा की तरह हैरान होकर ) सोचने लगता है कि मैं ये कहाँ आ गया 
( और पैदा होते ही रोने लगता है ) फिर उस गंध से भरी झोंपड़ी की तरह उसे यहाँ की खुशबू ऐसी भा जाती है कि वह अपना वास्तविक उद्देश्य भूलकर यहाँ से जाना ही नहीं चाहता है|
     
*🙏मानो या ना मानो हम सब की यही कहानी। कोई माने कोई नहीं, जीवन की यही सच्चाई - जय जय श्रीराधे जय श्रीकृष्ण तो प्रेम से बोल ड़ो एकबार - आपके कमल के मोर मुकुट बंशीवाले के लिये -*....
आप का तिवारी  परिवार  जय श्री राधे राधे  जय श्री कृष्ण 

बुधवार, 20 नवंबर 2019

JNU बना जहन्नुम

यह जेएनयू में रिसर्च कर रहे @sandip k luis है लुई सरनेम से यह मत सोचिए गा कि कोई आस्ट्रेलिया अमेरिका या ब्रिटेन से मिस्टर लुईसा की पैदाइश है बल्कि यह पैसे की लालच में एक कन्वर्टेड ईसाई है और यह खुद प्राइवेट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर पर काम कर चुके है और यह हॉस्टल की फीस ₹300 किए जाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है...
अब दूसरी बात आप इसके फेसबुक पर जा कर देखिए इसने अपनी कवर पिक जो लगाई है उसमें भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस पर पत्थरबाजी करने को उकसा रहा है और हिंदू देवी देवताओं के बहुत से अश्लील फोटो पोस्ट किए हुए हैं...
वैसे इस आम छात्र के हितों में चल रही फीस वृद्धि के खिलाफ लड़ाई में देश के हर छात्र की सिम्पैथी है कि उच्च शिक्षा सस्ती हो लेकिन इस आंदोलन की आड़ में जब आप अपने विषाक्त विचारो को फैलाने के लिए, आम छात्रों को बरगलाने के लिए, देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपनी फौज तैयार करने लगते हो तो वही वही आपकी मंशा जाहिर हो जाती है! 
आप ऐसे आंदोलनों की आड़ में हमारे देश की संस्कृति उसकी सुचिता अस्मिता उसकी विरासत से खिलवाड़ करने का प्रयास करते हो तो वही तुम्हारी मानसिक गुलामी जाहिर हो जाती है और तुम्हारे इन नापाक मंसूबो को इस देश का एक एक छात्र/ नागरिक समझ चुका है जिसे वो कभी कामयाब नही होने देगा....
आप का का तिवारी  परिवार

Image result for jnu

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

काल भैरव शिव परिवार का एक अभिन्न अंग है

Image result for kaal bhairav

सुप्रभात मित्रों ... ॐ नमः शिवाय!
आज का दिन आप सभी के लिये शुभ हो।

                💖भैरव अष्टमी💖

☸ इसी माह दिनांक 19 को भैरव अष्टमी है।
भैरव का नाम सुनते ही मन मे भय व्याप्त हो जाता है , जबकि ऐसा नहीं है ... 
भैरव शिव के ही अंश हैं।

☸ माँ सती के अंग जहां जहां गिरे थे वे सभी शक्ति पीठ हो गए , भगवान शिव ने प्रत्येक शक्ति पीठ की रक्षा हेतु एक भैरव नियुक्त किया है। 

☸ धर्म ग्रंथों के अनुसार भैरव भी भगवान शंकर के ही अवतार हैं। 
भगवान शंकर के इस अवतार से हमे अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए।
☸ भैरव के बारे मे प्रचलित है कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले तथा मदिरा का सेवन करने वाले हैं। 
इस अवतार का मूल उद्देश्य है कि मनुष्य अपने सारे अवगुण जैसे- मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: धर्ममय आचरण करें।

भैरव अवतार से हमे यह भी शिक्षा मिलती है कि हर कार्य सोच विचार कर करना ही ठीक रहता है। 
बिना विचारे काम करने से पद व प्रतिष्ठा धूमिल होती है।

☸ शिव महापुराण मे भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप बताया है। 
इनके अवतार की कथा इस प्रकार है-
एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। 
इस विषय मे जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया। 
तभी वहां भगवान शंकर प्रकट हुए। 
उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा-
चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। 
अत: मेरी शरण में आओ। 
ब्रह्मा की ऐसी बात सुनकर भगवान शंकर को क्रोध आ गया। 
उनके क्रोध से वहां एक तेज-पुंज प्रकट हुआ और उसमे एक पुरुष दिखलाई पड़ा। 

भगवान शिव ने उस पुरुषाकृति से कहा-
काल की भांति शोभित होने के कारण तुम साक्षात कालराज हो। तुम से काल भी भयभीत रहेगा, अत: तुम कालभैरव भी हो। 
मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य तुमको सर्वदा प्राप्त रहेगा। 
उस नगरी के पापियों के शासक भी तुम ही होंगे। 
भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा का एक सिर काट दिया।

🌷
भगवान भैरवनाथ को प्रसन्न करने के उपाय-

☸ रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लें। 
इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल मे डुबोकर लाइन खींचें। 
यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। 
यदि कुत्ता यह रोटी खा ले तो समझिए आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। 
यदि कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार)। 
यही तीन दिन भैरव नाथ के माने गए हैं।
☸ उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को सरसों के तेल मे बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। 
सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोले घर से निकले और रास्ते मे मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। 
स्मरण रहे , पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। 
यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।
☸ शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। 
रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। 
मन लगाकर उनकी पूजन करें। 
बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। 
साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। 

अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।
☸ प्रति गुरुवार कुत्ते को गुड़ खिलाएं।
☸ रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें।
☸ सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।
☸ शनिवार के दिन कड़वे तेल मे पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती मे जाकर बांट दें।

☸ रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मं‍दिर मे गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।
☸ पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं।
☸ सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े मे पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर मे बुधवार के दिन चढ़ाएं।

🌷
भैरव आराधना के लिए इनमे से कोई भी मंत्र ले सकते हैं - 

☸ - 'ॐ कालभैरवाय नम:।'

☸ - ॐ भयहरणं च भैरव:।'

☸ - 'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।'

☸ - 'ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।'

☸ - 'ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।'

उपरोक्त मंत्र जप आपके समस्त शत्रुओं का नाश करके उन्हें भी आपके मित्र बना देंगे। 
आपके द्वारा सच्चे मन से की गई भैरव आराधना और मंत्र जप से आप स्वयं को जीवन मे संतुष्ट और शांति का अनुभव करेंगे।
भैरव की उपासना से साधक के व्यक्तित्व मे "वीरता" गुण का समावेश होता है।

!! ॐ सुरभ्यै नमः !! 
 आपका तिवारी परिवार

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...