गुरुवार, 17 सितंबर 2020

भगवान के भगत के आगे झुकें भगवान

लड्डू गोपाल 
एक नगर में दो वृद्ध स्त्रियाँ बिल्कुल पास-पास रहा करती थीं। उन दोनों में बहुत ज़्यादा घनिष्ठता थी। उन दोनो का ही संसार में कोई नहीं था इसलिए एक दूसरे का सदा साथ देतीं और अपने सुख-दुःख आपस में बाँट लेती थीं। एक स्त्री हिन्दू थी तथा दूसरी जैन धर्म को मानने वाली थी।
हिन्दू वृद्धा ने अपने घर में लड्डू गोपाल को विराजमान किया हुआ था। वह प्रतिदिन बड़े प्रेम से लड्डू गोपाल की सेवा करा करती थी। प्रतिदिन उनको स्नान कराना, धुले वस्त्र पहनाना, दूध व फल आदि भोग अर्पित करना उसका नियम था। वह स्त्री लड्डू गोपाल के भोजन का भी विशेष ध्यान रखती थी। सर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम का ध्यान उसको रहता था। वह जब भी कभी बाहर जाती लड्डू गोपाल के लिए कोई ना कोई खाने की वस्तु, नए वस्त्र खिलोने आदि अवश्य लाती थी। लड्डू गोपाल के प्रति उसके मन में आपार प्रेम और श्रद्धा का भाव था।

उधर जैन वृद्धा भी अपनी जैन परम्परा के अनुसार भगवान् के प्रति सेवा भाव में लगी रहती थी। उन दोनो स्त्रियों के मध्य परस्पर बहुत प्रेम भाव था। दोनो ही एक दूसरे के भक्ति भाव और धर्म की प्रति पूर्ण सम्मान की भावना रखती थी। जब किसी को कोई समस्या होती तो दूसरी उसका साथ देती, दोनो ही वृद्धाएँ स्वभाव से भी बहुत सरल और सज्जन थीं। भगवान की सेवा के अतिरिक्त उनका जो भी समय शेष होता था वह दोनो एक दूसरे के साथ ही व्यतीत करती थीं।

एक बार हिन्दू वृद्धा को एक माह के लिए तीर्थ यात्रा का अवसर प्राप्त हुआ उसने दूसरी स्त्री से भी साथ चलने का आग्रह किया किन्तु वृद्धावस्था के कारण अधिक ना चल पाने के कारण उस स्त्री ने अपनी विवशता प्रकट कर दी। हिन्दु वृद्धा ने कहा कोई बात नहीं मैं जहाँ भी जाऊँगी भगवान् से तुम्हारे लिए प्रार्थना करुँगी फिर वह बोली मैं तो एक माह के लिए चली जाऊँगी तब तक मेरे पीछे मेरे लड्डू गोपाल का ध्यान रखना। उस जैन वृद्धा ने सहर्ष ही उसका यह अनुरोध स्वीकार कर लिया। हिन्दू वृद्धा ने उस जैन वृद्धा को लड्डू गोपाल की सेवा के सभी ज़रूरी नियम व आवश्यकताएँ बता दीं। उस जैन वृद्धा ने सहर्ष सब कुछ स्वीकार कर लिया।

कुछ दिन बाद वह हिन्दू वृद्धा तीर्थ यात्रा के लिए निकल गई। उसके जाने के बाद लड्डू गोपाल की सेवा का कार्य जैन वृद्धा ने अपने हाथ में लिया। वह बहुत उत्त्साहित थी कि उसको लड्डू गोपाल की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ। उस दिन उसने बड़े प्रेम से लड्डू गोपाल की सेवा की। भोजन कराने से लेकर रात्रि में उनके शयन तक के सभी कार्य पूर्ण श्रद्धा के साथ वैसे ही पूर्ण किए जैसे उसको बताए गए थे। लड्डू गोपाल के शयन का प्रबन्ध करके वह भी अपने घर शयन के लिए चली गई।

अगले दिन प्रातः जब वह वृद्धा लड्डू गोपाल की सेवा के लिए हिन्दू स्त्री के घर पहुँची तो उसने सबसे पहले लड्डू गोपाल को स्नान कराने की तैयारी की। नियम के अनुरूप जब वह लड्डू गोपाल को स्नान कराने लगी तो उसने देखा की लड्डू गोपाल के पाँव पीछे की और मुड़े हुए हैं। उसने पहले कभी लड्डू गोपाल के पाँव नहीं देखे थे, जब भी उनको देखा वस्त्रों में ही देखा था। वह नहीं जानती थी कि लड्डू गोपाल के पाँव हैं ही ऐसे, घुटनों के बल बैठे हुए। लड्डू गोपाल के पाँव पीछे की ओर देख कर वह सोचने लगी अरे मेरे लड्डू गोपाल को यह क्या हो गया इसके तो पैर मुड़ गए है। उसने उस हिन्दू वृद्धा से सुन रखा था की लड्डू गोपाल जीवंत होते हैं। उसने मन में विचार किया कि मैं इनके पैरो की मालिश करुँगी हो सकता है इनके पाँव ठीक हो जायें। बस फिर क्या था भक्ति भाव में डूबी उस भोली भाली वृद्धा ने लड्डू गोपाल के पैरों की मालिश आरम्भ कर दी। उसके बाद वह नियम से प्रतिदिन पांच बार उनके पैरों की मालिश करने लगी। उस भोली वृद्धा की भक्ति और प्रेम देख कर

ठाकुर जी का हृदय द्रवित हो उठा। भक्त वत्सल भगवान् अपनी करुणावश अपना प्रेम उस वृद्धा पर उड़ेल दिया । एक दिन प्रातः उस जैन वृद्धा ने देखा की लड्डू गोपाल के पाँव ठीक हो गए हैं और वह सीधे खड़े हो गए हैं, यह देख कर वह बहुत प्रसन्न हुई और दूसरी स्त्री के आने की प्रतीक्षा करने लगी। कुछ दिन पश्चात् दूसरी स्त्री वापस लौटी तो उसने घर आकर सबसे पहले अपने लड्डू गोपाल के दर्शन किये किन्तु जैसे ही वह लड्डू गोपाल के सम्मुख पहुँची तो देखा कि वह तो अपने पैरों पर सीधे खड़े हैं। यह देखकर वह अचंभित रह गई।वह तुरन्त उस दूसरी स्त्री के पास गई और उसको सारी बात बताई और पूछा कि मेरे लड्डू गोपाल कहां गए ? यह सुनकर उस जैन स्त्री ने सारी बात बता दी।

उसकी बात सुनकर वह वृद्ध स्त्री सन्न रह गई और उसको लेकर अपने घर गई। वहाँ जाकर उसने देखा तो लड्डू गोपाल मुस्करा रहे थे। वह लड्डू गोपाल के चरणों में गिर पड़ी और बोली - हे गोपाल! आपकी लीला निराली है। मैंने इतने वर्षो तक आपकी सेवा की किन्तु आपको नहीं पहचान सकी । फिर उस जैन वृद्धा से बोली कि, तू धन्य है! तुझको नहीं मालूम कि हमारे लड्डू गोपाल के पाँव तो ऐसे ही हैं, पीछे की ओर किन्तु तेरी भक्ति और प्रेम ने तो लड्डू गोपाल के पाँव भी सीधे कर दिये।

उस दिन के बाद उन दोनो स्त्रियों के मध्य प्रेम भाव और अधिक बढ़ गया। दोनों मिलकर लड्डू गोपाल की सेवा करने लगीं। वह दोनो स्त्रियां जब तक जीवित रहीं तब तक लड्डू गोपाल की नियमित सेवा करती रहीं।

🌹 जय श्री वृंदावन बिहारी लाल की !🌹

🌷जय श्री लड्डू गोपाल जी।🌷

🌷जय श्री राधे राधे।🌷 
आप का तिवारी परिवार 

शनिवार, 12 सितंबर 2020

हमारी सारी पुन्ने नष्ट तब हो जाता जब हम पाप देखते रहते है

प्रसंग (बोध कथा)

 श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध पश्चात् लौटे तो रोष में भरी रुक्मिणी ने उनसे पूछा ?
 " बाकी सब तो ठीक था किंतु आपने द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह जैसे धर्मपरायण लोगों के वध में क्यों साथ दिया ?"
.
श्री कृष्ण ने उत्तर दिया -
"ये सही है की उन दोनों ने जीवन पर्यंत धर्म का पालन किया किन्तु उनके किये एक पाप ने उनके सारे पुण्यों को हर लिया "

    *"वो कौनसे पाप थे?"*

श्री कृष्ण ने कहा :
 "जब भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था तब ये दोनों भी वहां उपस्थित थे,और बड़े होने के नाते ये दुशासन को आज्ञा भी दे सकते थे किंतु इन्होंने ऐसा नहीं किया

    *उनका इस एक पाप से बाकी,*
  *सारी धर्मनिष्ठता छोटी पड गई"*
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रुक्मिणी ने पुछा -
"और कर्ण? 
वो अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था,कोई उसके द्वार से खाली हाथ नहीं गया उसकी क्या गलती थी?"

श्री कृष्ण ने कहा, "वस्तुतः वो अपनी दानवीरता के लिए विख्यात था और उसने कभी किसी को ना नहीं कहा,

 किन्तु जब अभिमन्यु सभी युद्धवीरों को धूल चटाने के बाद युद्धक्षेत्र में आहत हुआ भूमि पर पड़ा था तो उसने कर्ण से,जो उसके पास खड़ा था,पानी माँगा,कर्ण जहाँ खड़ा था उसके पास पानी का एक गड्ढा था किंतु कर्ण ने मरते हुए अभिमन्यु को पानी नहीं दिया।

इसलिये उसका जीवन भर दानवीरता से कमाया हुआ पुण्य नष्ट हो गया। बाद में उसी गड्ढे में उसके रथ का पहिया फंस गया और वो मारा गया" 

प्रायः ऐसा होता है की हमारे आसपास कुछ गलत हो रहा होता है और हम कुछ नहीं करते । हम सोचते हैं की इस पाप के भागी हम नहीं हैं किंतु मदद करने की स्थिति में होते हुए भी कुछ ना करने से हम उस पाप के उतने ही हिस्सेदार हो जाते हैं ।
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किसी स्त्री, बुजुर्ग, निर्दोष,कमज़ोर या बच्चे पर अत्याचार होते देखना और कुछ ना करना हमें पाप का भागी बनाता है। सड़क पर दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को लोग नहीं उठाते हैं क्योंकि वो समझते है की वो पुलिस के चक्कर में फंस जाएंगे|

*आपके अधर्म का एक क्षण सारे जीवन के कमाये धर्म को नष्ट कर सकता है।*।

🌹🙏मंगल सुप्रभात🙏🌹

🌹🙏जय जय श्री राधे🙏🌹

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आप का तिवारी परिवार जय श्री राधे राधे 

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...