**पौराणिक कथा**
🎱1. एक पौराणिक कथा के अनुसार #भगवान #शिव यहां पर #चिंकारे का #रूप धारण कर #निद्रा में चले बैठे थे। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे।
🎱2.दूसरी कथा एक चरवाहे से जुड़ी है। कहते हैं कि इस शिवलिंग को एक चरवाहे द्वारा खोजा गया था जिसकी गाय का अपने दूध से अभिषेक कर शिवलिंग के स्थान का पता लगाया था।
🎱 3.तीसरी कथा भारत के उत्तराखंड राज्य से जुडी एक पौराणिक कथा से है। इस कथा के अनुसार इस मंदिर का संबंध केदारनाथ मंदिर से है। कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी। जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा जाता है। पुराणों में पंचकेदार की कथा नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है।