बुधवार, 27 मई 2020

भगवान् पसूपती नाथ की कुछ महिमा

🐍🔱#जय_पशुपतिनाथ_महादेव।🔱🐍
          **पौराणिक कथा**
🎱1. एक पौराणिक कथा के अनुसार #भगवान #शिव यहां पर #चिंकारे का #रूप धारण कर #निद्रा में चले बैठे थे। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे।

 🎱2.दूसरी कथा एक चरवाहे से जुड़ी है। कहते हैं कि इस शिवलिंग को एक चरवाहे द्वारा खोजा गया था जिसकी गाय का अपने दूध से अभिषेक कर शिवलिंग के स्थान का पता लगाया था।
 
🎱 3.तीसरी कथा भारत के उत्तराखंड राज्य से जुडी एक पौराणिक कथा से है। इस कथा के अनुसार इस मंदिर का संबंध केदारनाथ मंदिर से है। कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी। जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा जाता है। पुराणों में पंचकेदार की कथा नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

शुक्रवार, 8 मई 2020

राजा जनक के बाद मिथिला का उत्तर अधिकारी के नाम इस प्रकार है

रामायण काल तक के विदेह (जनक) वंशीय राजाओं के नाम वाल्मीकीय रामायण में स्पष्टतया उल्लिखित रहने के कारण पुराणों की अपेक्षा वे नाम ही स्वीकार्य हैं, परन्तु सीरध्वज जनक के बाद के राजाओं के नाम स्वाभाविक रूप से वाल्मीकीय रामायण में न होने के कारण पुराणों का सहारा लेना पड़ता है। इनमें सर्वाधिक प्राचीन पुराणों में से एक तथा अपेक्षाकृत सुसंगत श्रीविष्णुपुराण का आधार अधिक उपयुक्त है। सीरध्वज के पुत्र भानुमान् से लेकर कृति (अन्तिम) तक कुल 32 राजाओं के नाम श्रीविष्णुपुराण[4] में दिये गये हैं और उन्हें स्पष्ट रूप से 'मैथिल' (इत्येते मैथिला:) कहा गया है।

1.भानुमान्

2.शतद्युम्न

3.शुचि

4.ऊर्जनामा

5.शतध्वज

6.कृति

7.अंजन

8.कुरुजित्

9.अरिष्टनेमि

10.श्रुतायु

11.सुपार्श्व

12.सृंजय

13.क्षेमावी

14.अनेना

15.भौमरथ

16.सत्यरथ

17.उपगु

18.उपगुप्त

19.स्वागत

20.स्वानन्द

21.सुवर्चा

22.सुपार्श्व

23.सुभाष

24.सुश्रुत

25.जय

26.विजय

27.ऋत

28.सुनय

29.वीतहव्य

30.धृति

31.बहुलाश्व

32.कृति

इस अन्तिम राजा कृति के साथ ही जनकवंश की समाप्ति मानी गयी है। इसे ही अन्यत्र 'कराल जनक' भी कहा गया है।[5] यहाँ परिगणित तेरहवें राजा क्षेमावी का अपर नाम कुछ लोगों ने 'क्षेमारि' भी माना है तथा महाभारतकालीन राजा क्षेमधूर्ति से उसकी समानता की बात कही है।[।आप का  तिवारी परिवार जय श्री राम 


दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...