शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

दहेज का दानौ कीतने परिवार को खा गया हैं

*कर्ज वाली लक्ष्मी*
एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने फोन पर बताया।
दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी।

दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले...

हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में दहेज की बात करने आ रहे हैं.. बोले... दहेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है..
बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?"

कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं..

घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी...

खैर..
अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी..

कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए..

दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें..
लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे दहेज के बारे बात करनी है!...

दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा..

समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा.....
आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब स्वीकार है... पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं..

क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी "कर्ज वाली लक्ष्मी" मुझे स्वीकार नही...

मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी..
दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा..

शिक्षा- *कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नही कोई स्वीकार करे  और अपने समाज मे छूपे दहेज के दानौ 
का बहीस्कार करें अगर आप को ए कहानी अच्छी लगीं हो तो इसे सेर जरूर करें 
आप का तिवारी परिवार       .

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शनिवार, 3 नवंबर 2018

कुडे के ढेर मे हीरा उठाया सब्जी वाले ने तो उसकी तकदीर ही बदल गई

ठेले वाले ने कूड़े के ढेर से उठाया था इस लड़की को, 25 साल बाद लड़की ने चुकाया इस तरह एहसान
जिन्दगी कब कौन सा करवट बदल दे किसी को कुछ नहीं पता। जिन्दगी कभी कूड़े के ढेर में बिलखती है तो कभी आसमान में उड़ने लगती है। दोस्तों इंसान बनाया ही गया है, इंसान की मदद करने के लिए किन्तु कोई अपना कर्तव्य निभाता है तो कोई पीछे हट जाता है। आज की घटना कुछ ऐसी ही है। सोमवार का दिन था सोबरन अपना सब्जी का ठेला लेकर घर आ रहा था। थोड़ी दूर चलने पर उसे झाड़ियों से एक बच्चे की रोने की आबाज सुनाई दी। सोबरन ने आपना ठेला रोंका और उस तरफ जाकर झाड़ियों में देखा तो उसके होश उड़। एक मासूम बच्चा कूड़े के ढेर पर पड़ी बिलख -बिलख कर रो रहा था ।
सोबरन ने इधर उधर देखा और जब कोई नहीं दिखाई दिया तो उसने उसे गोद में उठा लिया। सोबरन ने देखा की वो एक ख़ूबसूरत लड़की है। सोबरन उसे अपने घर ले आया। सोबरन की उस समय उम्र 30 वर्ष थी और उसकी शादी भी नहीं हुई थी। सोबरन उस बच्ची को पाकर बहुत खुस था। उसने उसे पालने और शादी न करने का निर्णय लिया। यह घटना है आसाम के जिला तिनसुखिया की जहाँ सोबरन रोजी रोटी के लिए अपना सब्जी का ठेला चलाता था। उसी समय यह लड़की सोबरन को मिली थी। सोबरन ने कठिन मेहनत कर उसे अपनी बेटी की तरह पाला और उस लड़की का नाम रखा ज्योती। सोबरन दिन और रात मेहनत कर अपनी बेटी को पढ़ाता और किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देता।
खुद एक बार भूखा सो जाता किन्तु अपनी बेटी को कभी किसी चीज की कमीं नहीं होने देता। सोबरन ने 2013 में कम्प्युटर साइंस से स्नातक कराया और इसके बाद ज्योती तैयारी में जुट गई। इसके बाद 2014 में ज्योती ने आसाम लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की और उसे आयकर सहायक आयुक्त के पद पर पोस्टिंग दी गई। सोबरन अपनी बेटी को देखकर आंसुओं से भीग गया क्योकि उसकी बेटी ने उसके सभी सपने पूरे कर दिए। आज ज्योती अपने पिता को साथ रखती है और उनकी हर ख्वाहिस को पूरी करती है। सोबरन कहता है मैंने कूड़े से लड़की नहीं एक हीरा उठाया था जो आज हमारी बुढ़ापे की लाठी बन गया। आज सोबरन अपने आप को धन्य समझता है।    अच्छा लगा हो तो सेर जरूर किजिए धन्यवाद

दूनीय की येही कहानी है

😥✅ एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला , वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया...